Category: धारावाहिक

सीधी चढ़ान (तेरहवी क़िस्त)

इतिहासकार और उपन्यास-लेखक जिस प्रकार मनुष्य का पृथक्करण करते हैं, उसी प्रकार इस समय मैं भी अपना पृथक्करण कर रहा हूं. वह वस्तु लोभ से हुई और यह देश-भक्ति से. वास्तव में जब यह कृत्य मनुष्य करता है, तब उसमें…

सीधी चढ़ान (बारहवीं क़िस्त)

मुझे याद है कि 1912 में मैं चंद्रशंकर के साथ यूनियन का मंत्री बना था. 1913 में हमने उसका सारा ढांचा बदल दिया. संस्था का नाम ‘गुर्जर सभा’ रख दिया. त्रिभुवनदास राजा उस समय बी.ए. में थे, वे और मैं…

सीधी चढ़ान (ग्यारहवीं क़िस्त)

दूसरे दिन जीजी मां और बहू बम्बई के लिए रवाना हुई. उनके उत्साह की सीमा नहीं थी. वे बम्बई के नये घर में आकर रहीं. ‘भाई’ को मानपत्र मिलते देख कर वे हर्ष से फूली न समायी. हम सब पुनः…

सीधी चढ़ान (दसवीं क़िस्त)

पूर्वकाल में जिस प्रकार नैमिषारण्य में ऋषिगण शौनक के पास गये थे, उसी प्रकार पाठक, लेखक के पास जाकर, नम्रता से हाथ जोड़कर प्रश्न करता है- ‘हे लेखक, इस खंड का शीर्षक ‘मध्वरण्य’ मैंने पढ़ा. यह मध्वरण्य क्या? यह खंड…

सीधी चढ़ान (नौवीं क़िस्त)

मुहम्मदअली जिन्ना और मैं इस समय एक दूसरे से भिन्न दुनिया में घूम रहे थे. एक समय हम खूब निकट थे. मेरे पास होने के पश्चात उनका प्रथम दर्शन मुझे 1913 के नवम्बर की पहली तारीख को हुआ. मैंने अंकित…