बोधकथा मिट्टी ने मटके से पूछा- ‘मैं भी मिट्टी तू भी मिट्टी, परंतु पानी मुझे बहा ले जाता है और तुम पानी को अपने में समा लेते हो. वह तुम्हें गला भी नहीं पाता, ऐसा क्यों?’ मटका हंसकर बोला- ‘यह…
Category: लघुकथाएं
ज्ञान-धारा
बोधकथा एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा- ‘भगवन्! जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं और आप ऊंचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों?’ भगवान बुद्ध बोले- ‘ये बताओ कि…
धर्म – ज्ञानदेव मुकेश
लघु–कथा साहब अपनी पत्नी पर झल्ला रहे थे. वे कह रहे थे, ‘मैडम, जल्दी करिए. सुलेमान ड्राइवर कब से आकर बैठा हुआ है. क्या हमें मंदिर नहीं जाना? क्या हम आरती के बाद जाएंगे?’ पत्नी अपने काम में लगी रही…
बेशर्म – डॉ. पूरन सिंह
बोध-कथा हम दो ही पैदा हुए थे, अम्मा के. अम्मा अब नहीं है. चली गयी भगवान के पास, दूर… बहुत दूर. पिता मां के न रहने पर बिखरते जा रहे हैं. वसीयत कर दी है पिता ने- मेरे और बड़े…
खुशी कैसे पायें
बोधकथा आश्रम में एक छात्र ने पूछा, ‘गुरुवर क्या आसानी से खुशी पायी जा सकती है?’ गुरुजी ने मुस्करा कर कहा, ‘तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मैं कल सुबह सभी विद्यार्थियों के समक्ष दूंगा.’ दूसरे दिन सभी छात्र जब आ गये…