Category: संस्मरण

‘मधुशाला’ का पहला सार्वजनिक पाठ बीएचयू में हुआ था  –  नरेंद्र शर्मा

याद ‘मधुशाला’ का अत्यंत अप्रत्याशित, अनौपचारिक, आकस्मिक और भव्य उद्घाटन समारोह भी मुझे देखने को मिला. वह आजकल का-सा कोई ग्रंथ-विमोचन कार्यक्रम न था. था एक कवि-सम्मेलन. बनारस के हिंदू विश्वविद्यालय में. विश्वविद्यालय के शिवाजी हॉल में. कवि-सम्मेलन के अध्यक्ष…

एक अद्भुत व्यक्तित्व थे डॉ. श्रीकांत –  होमी दस्तूर

स्मरणांजलि एक अद्भुत सर्जक प्रतिभा का नाम था डॉ. मनेश श्रीकांत जो 16 नवंबर 2015 को अचानक हमें छोड़कर चले गये. भारतीय विद्या भवन परिवार ने अपना सर्वाधिक प्रतिभाशाली सदस्य खोया है. एस.पी.जैन इन्टीच्यूट आफ मैनजमेंट एण्ड रिसर्च (SPJIMR) के…

शम्भू दाज्यू ने मुझे नैचुरल पोएट कहा था —  रमेशचंद्र शाह

संस्मरण शम्भू दाज्यू हमारी दिवंगता बुआ के बेटे हैं, उनके पिता ख्यातनामा डॉक्टर हैं. आगरा के एल.एम.पी. जो अब सेवा-निवृत्ति के उपरांत ज्योलीकोट में बस गये हैं. इतनी जानकारी तो मुझे भी थी; किंतु ज्यों-ज्यों उनके अपने ननिहाल यानी अल्मोड़ा,…

फागुन की धूप सरीखे धर्मवीर इलाहाबादी

♦  पुष्पा भारती    > होली शब्द के उच्चारण मात्र से मन बचपन की यादों से जुड़ जाता है तब घर-घर में होली जलाई जाती, ढेर सारे पकवान बनते. सालभर की दुश्मनियां होली में होम करके दूसरे दिन सुबह से सारे…

क्रिकेट के जन्म की लोककथा

♦   कांतिकुमार जैन    > उस समय मुझे यह पता नहीं था कि जिसे सारी दुनिया क्रिकेट के नाम से जानती है, वह हम बैकुंठपुर के लड़कों का पसंदीदा खेल रामरस है. ओडगी जैसे पास के गांवों में रामरस…