Category: पहली सीढ़ी

आस्था – हरमन हेस्से (पहली सीढ़ी)

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। कूड़ा–कर्कट, अस्थियों, कंकालों, ताकतों और नयी खुदी कब्रों की मिट्टी के ढेर– दूर तक फैले हुए इस तरह यह सृष्टि समाप्त हो रही और समाप्त हो रहा है मेरा यह जीवन भी! और मैं…

मुक्ति की आकांक्षा (पहली सीढ़ी) अप्रैल 2016

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। चिड़िया को लाख समझाओ कि पिंजरे के बाहर धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है, वहां हवा में उन्हें अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी. यूं तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,…

हम सूरज के टुकड़े (पहली सीढ़ी) फरवरी 2016

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।   जैसे निहाई पर लोहे का पत्थर ढाला जाता है वैसे ही हम नये दिन ढालेंगे ताकत और पसीने से नहाये हुए हम पाताल में उतरेंगे और धरती के गर्भ से नया वैभव जीत…

आया वसंत (पहली सीढ़ी) फरवरी 2016

                पहली सीढ़ी ।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।   फूलों की क्यारी भरी हुई वह घास वहां फिर हरी हुई. उड़ रही तिललियां चिड़ियां जो वे लगती जैसे तिरी हुई आया वसंत… …

पहली सीढ़ी (जनवरी 2016)

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।     एक खत चांद सूरज दो दवातें कलम ने डोबा लिया लिखतम् तमाम धरती पढ़तम् तमाम धरती। सांइसदानो, दोस्तो! गोलियां, बंदूकें, एटम बनाने से पहले इस खत को पढ़ लेना हुक्मरानो, दोस्तो गोलियां,…