व्याख्यान अक्सर सभा सम्मेलनों के प्रारम्भ में एक दीपक जलाया जाता है. यह शायद प्रतीक है, अंधेरा दूर करने का. दीया जलाकर प्रकाश करने का. इसका एक अर्थ यह भी है कि अंधेरा कुछ ज़्यादा ही होगा, हम सबके आसपास.…
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पूरा मनुष्य बनाने के लिए – एच. एन. दस्तूर
शिक्षा (भारतीय विद्या भवन द्वारा संचालित 92 स्कूलों में इस समय 1,85,000 छात्र 6100 अध्यापकों के निर्देशन में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. सन 2014-15 में इन स्कूलों में दसवीं की परीक्षा (सीबीएसई) में उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 99.84 था!…
असहमति और स्वतंत्रता – अमर्त्य सेन
दृष्टिकोण बाइस अगस्त, 1934 की बात है. तब मैं एक साल का भी नहीं हुआ था. मेरे चाचा ज्योतिर्मय सेनगुप्ता ने बर्दवान जेल से मेरे पिता को एक चिट्ठी भेजी थी. उन्होंने मेरा हाल-चाल पूछा था और मेरे ‘अमर्त्य’ नाम…
‘स्वराज अपने पुरुषार्थ से ही मिलेगा’ – महात्मा गांधी
व्याख्यान 4 फरवरी 1916 को वसंत पंचमी के दिन हमारे देश के इतिहास का एक अनूठा पृष्ठ लिखा गया था. उस दिन देश के कई राजाओं-महाराजाओं की उपस्थिति में मदन मोहन मालवीय के विशेष आग्रह पर गांधीजी ने छात्रों को…
मरुस्थल हमारे मस्तिष्क में – शंकरनकुट्टी पोट्टेकाट
वक्तव्य मैं वर्ष 1980 का ज्ञानपीठ पुरस्कार एक ऐसे संधि काल में ग्रहण कर रहा हूं जबकि हमारा देश राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के वात्याचक्र से गुज़र रहा है. मैं यह बात विशेषकर इसलिए कह रहा हूं कि कला,…