Category: स्तंभ

एक अद्भुत व्यक्तित्व थे डॉ. श्रीकांत –  होमी दस्तूर

स्मरणांजलि एक अद्भुत सर्जक प्रतिभा का नाम था डॉ. मनेश श्रीकांत जो 16 नवंबर 2015 को अचानक हमें छोड़कर चले गये. भारतीय विद्या भवन परिवार ने अपना सर्वाधिक प्रतिभाशाली सदस्य खोया है. एस.पी.जैन इन्टीच्यूट आफ मैनजमेंट एण्ड रिसर्च (SPJIMR) के…

धान पकेंगे हमारे खेत में  –  विद्यानिवास मिश्र

शब्द–सम्पदा भदई या कुआरी फ़सल तो कट चुकी, अब अगहनी के कटने की बारी है. अगहनी या जड़हन या चहोरा या सैंदी धान बोआ और रोपा दोनों किस्म का होता है. अगहनी धान को ही संस्कृत में शालि और रोपा…

शरणम् – नरेंद्र कोहली

धारावाहिक उपन्यास – 1 (गीता एक धर्म-ग्रंथ है और जीवन-ग्रंथ भी. जीवन के न जाने कितने रहस्यों की परतें खोलने वाला ग्रंथ बताया गया है इसे. पर गीता का कथ्य किसी उपन्यास का कथ्य भी बन सकता है, यह कल्पना…

अपनी कहानी के किरदार जैसे ही थे कालिया  –  यश मालवीय

स्मरण कथाकार रवींद्र कालिया की ज़िंदगी अपने आप में एक भरी-पूरी कहानी जैसे ही रही. उनका न रहना एक संवेदनशील कहानी के खो जाने जैसा ही है. वह अद्भुत किस्सागो थे. वह जाते-जाते तक जैसे कहानी सुनाते रहे, हम हुंकारी…

‘सच्ची दोस्ती कागज़ से ही हो सकती है, वह भी कलम के द्वारा’ 

बातचीत (मेहरुन्निसा परवेज़ से अनीता सक्सेना की बातचीत) एक फरवरी दो हज़ार बारह, मानस भवन में विष्णु प्रभाकर जयंती के अवसर पर मेहरुन्निसा जी आयी थीं, मैं सब कुछ भूल उनको सुन रही थी, आपने कहा था- ‘कहानी दरअसल एक…