Category: स्तंभ

सागरमाथा पहुंचने का संकल्प  –   रामबहादुर राय

आवरण-कथा पंडित मदन मोहन मालवीय ने बीज बोया. उसे अपने जीवन में पौधा बनाया. एक आकार दिया. आज वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय शिक्षा जगत का विराट वृक्ष हो गया है. इस 21वीं सदी में मूलत तीन अवधारणाएं काम कर रही…

मेरे विश्वविद्यालय के वे दिन… वे लोग –  डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी

आवरण-कथा काशी विश्वविद्यालय का परिसर सचमुच विश्वविद्यालय का परिसर लगता था. अखिल भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय, दक्षिण, पूर्वी, पश्चिमी भारत के छात्रों की बहुत बड़ी संख्या होती थी उस समय. स्याम, तिब्बत, चीन, जापान तथा सोवियत-यूनियन, जर्मनी, फ्रांस आदि के छात्र…

महामना का अमर स्मारक  –  अच्युतानंद मिश्र

आवरण-कथा महान संस्थाओं की स्थापना महापुरुषों के संकल्प और उनकी साधना के सातत्य से होती है. प्राचीन भारत में शिक्षा के केंद्र गुरुकुल थे जहां गुरु-शिष्य संवाद शास्त्रार्थ और नये प्रयोगों के परीक्षण की विकसित परम्परा थी. तक्षशिला विश्वविद्यालय जहां…

शब्द शक्ति (अध्यक्षीय) मार्च 2016

हमें याद है जवाहरलाल नेहरू का प्रसिद्ध भाषण ‘नियति से साक्षात्कार’ जो उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के अवसर पर दिया था. वह इतना जबर्दस्त, सटीक और जीवंत रूप में था कि वह हमारी याद में हमेशा रहेगा. उन शब्दों में आज…

सत्य की उपासना (कुलपति उवाच) March 16

गांधीजी ने कहा था- ‘एक समय में मैं मानता था कि परमेश्वर सत्य है. अब मैं मानता हूं कि सत्य परमेश्वर है.’ यह सत्य मुझे आनंद, स्वतंत्रता और शांति देता है. तब मुझे इसकी सेवा कैसे करनी चाहिए? मैं किसी…