Category: विधाएँ

‘स्वराज अपने पुरुषार्थ से ही मिलेगा’  –  महात्मा गांधी

व्याख्यान 4 फरवरी 1916 को वसंत पंचमी के दिन हमारे देश के इतिहास का एक अनूठा पृष्ठ लिखा गया था. उस दिन देश के कई राजाओं-महाराजाओं की उपस्थिति में मदन मोहन मालवीय के विशेष आग्रह पर गांधीजी ने छात्रों को…

हम सूरज के टुकड़े (पहली सीढ़ी) फरवरी 2016

।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।   जैसे निहाई पर लोहे का पत्थर ढाला जाता है वैसे ही हम नये दिन ढालेंगे ताकत और पसीने से नहाये हुए हम पाताल में उतरेंगे और धरती के गर्भ से नया वैभव जीत…

बेशर्म – डॉ. पूरन सिंह

बोध-कथा हम दो ही पैदा हुए थे, अम्मा के. अम्मा अब नहीं है. चली गयी भगवान के पास, दूर… बहुत दूर. पिता मां के न रहने पर बिखरते जा रहे हैं. वसीयत कर दी है पिता ने- मेरे और बड़े…

एक अद्भुत व्यक्तित्व थे डॉ. श्रीकांत –  होमी दस्तूर

स्मरणांजलि एक अद्भुत सर्जक प्रतिभा का नाम था डॉ. मनेश श्रीकांत जो 16 नवंबर 2015 को अचानक हमें छोड़कर चले गये. भारतीय विद्या भवन परिवार ने अपना सर्वाधिक प्रतिभाशाली सदस्य खोया है. एस.पी.जैन इन्टीच्यूट आफ मैनजमेंट एण्ड रिसर्च (SPJIMR) के…

बया पाखी का दुःख  –   डॉ. कृपासिंधु नायक

उड़िया कविता बया पाखी अब जान गया है अपनी नियति को, अपने जीवन के अनागत भविष्य को सूखे जख्म पर पड़ी पपड़ी की तरह उसे भी एक दिन झड़ जाना होगा चुपचाप इस धरती पर. पड़ोस में बहती नदी का…