Category: पहली सीढ़ी

जीवन का अधिकार, कर्तव्य

।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦   पाल इल्यार (फ्रांसीसी कवि)   >   और कुछ नहीं होगा न भुनभुनाता हुआ कीड़ा, न कांपती हुई पत्ती न कोई गुर्राता हुआ पशु, बदन चाटता हुआ पशु न कुछ गर्म, न कुछ…

…कमरे में कुछ भी नहीं

।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦  दलाई लामा    > बड़े हो गये हैं हमारे मकान और परिवार छोटे बढ़ गयी हैं सुख-सुविधाएं, कम पड़ता जा रहा है सम डिग्रियां हैं हमारे पास लेकिन कम है समय बढ़ गया…

नये साल पर

।।आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। ♦  सर्वेश्वरदयाल सक्सेना  >    नये साल की शुभकामनाएं खेतों की मेड़ों पर कूल भरे पांव को कुहरे में लिपटे उस छोटे-से गांव को नये साल की शुभकामनाएं इस पकती रोटी को, बच्चों के…