Category: विधाएँ

भारतीय संस्कृति बौद्धिक है

⇐  पुरुषोत्तमदास टंडन  ⇒      हमारे सामने आज दो रास्ते हैं, जो भयावह हैं, डर के रास्ते हैं. भारतीय संस्कृति को इन दो रास्तों से बचाना है.     एक रास्ता वह है, जिस पर हमारे पश्चिम की नकल करनेवाले भाई…

अखबारों में लिपटा हुआ बच्चा

     तोशिको का पति हमेशा ही व्यस्त रहता था. आज रात भी उसे किसी से मिलने के लिए जल्दी में जाना पड़ा, और वह उसे टैक्सी में घर जाने के लिए अकेली छोड़ गया. आखिर अभिनेता की पत्नी और आशा…

अकथ कथा शिकार की

⇐  तुषारकांति घोष  ⇒  लोग अपनी शिकार की सफलता की कहानियां लिखते हैं, मैं आज अपनी शिकार की विफलताओं की बात लिखूंगा- इस आशा से कि शायद इससे शौकिया शिकार खेलने वाले यह जान सकेंगे कि उन्हें क्या-क्या नहीं करना…

नहीं मां, मैं अभी नहीं सोऊंगा

बचपन के सुख दिन, जो कभी नहीं लौटेंगे! क्या कभी कोई उसकी स्मृतियां भुला सकता है? उसके बारे में सोचते ही मेरा मन आज भी उल्लसित हो उठता है, आत्मा में एक नूतन ऊंचाई का अनुभव होने लगता है. याद आता…

मां हमें खास होने का अहसास कराती – चार्ली चैप्लिन

लेकिन मां हमेशा अपने परिवेश से बाहर ही खड़ी हमें समझाती और हमारे बात करने के ढंग, उच्चारण पर ध्यान देती रहती, हमारा व्याकरण सुधारती रहती और हमें यह महसूस कराती रहती कि हम खास हैं. हम जैसे-जैसे और अधिक…