हम कई-कई मानसिकताओं को लेकर कई-कई सदियों में एक साथ जी रहे हैं. यह बात अच्छी नहीं है, सही भी नहीं है. लेकिन इससे कहीं बुरी और गलत बात यह है कि गलत मानसिकता और पिछली सदियों की सोच से…
Category: पिछले अंक
मार्च 2010
शब्द-यात्रा ज़मीन से आसमान तक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी राह बनानी आती है पद्मा सचदेव आवरण-कथा सम्पादकीय सारी उपलब्धियों के बावजूद सूर्यबाला तनी रस्सी पर चलने का रोमांच मृदुला गर्ग प्रतिकूल परिस्थितियों में औरतों का ज़िंदा रह जाना किसी चमत्कार…
फरवरी 2010
शब्द-यात्रा रंग में रंगा रंग आनंद गहलोत पहली सीढ़ी सखि, बसंत आया निराला आवरण-कथा सम्पादकीय ताकि जीवन में बसंत आये नर्मदा प्रसाद उपाध्याय प्रकृति के अध्यात्म का उत्सव है बसंत रमेश दवे चैत चित्त, मन महुआ नीरजा माधव बखौफ होकर…
जनवरी 2010
महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…
जून 2010
शब्द-यात्रा पाखंड का जन्म आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मेरी भी आभा है इसमें नागार्जुन आवरण-कथा कैसे बचेगी ये धरती? डॉ. रमेश दत्त शर्मा …तो पृथ्वी कहां होगी, हम कहां होंगे? राजशेखर व्यास महावीर का पर्यावरण दर्शन आचार्य महाप्रज्ञ मरु-विजय के…