कुलपति उवाच
03 आधुनिकता की त्रासदी
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 निम्बार्क
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 मेरे दुश्मन
पेरियार
व्यंग्य
80 हम शुतुरमुर्ग हैं!
शशिकांत सिंह `शशि‘
शब्द-सम्पदा
136 प्रस्ताव और स्तुति
अजित वडनेरकर
आवरण-कथा
12 क्या भूलें क्या याद रखें
सम्पादकीय
14 कुछ बदनुमा दाग, कुछ कीमती सबक
सुधीर सक्सेना
22 यादों की अनुगूंजें
रामशरण जोशी
27 कुछ भीतर कुछ बाहर
प्रियदर्शन
31 क्या खोना, क्या पाना साधो
सुरेश ऋतुपर्ण
आलेख
34 क्या भूलूं क्या याद करूं…
रुचि भल्ला
37 बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में
श्रीकांत वर्मा
46 समय, समाज और कला
अशोक वाजपेयी
51 याहू मंत्र
पुष्पा भारती
52 सब मिलि बोलहु याहू याहू
तीरभा
56 …क्योंकि है सपना अभी भी
धीरेंद्र अस्थाना
66 है, अभी कुछ और है जो कहा नहीं गया
रमेशचंद्र शाह
92 जंगल की शहादत
जितेंद्र भाटिया
112 विषम समाज की त्रासदी
महाश्वेता देवी
119 दस्तावेजी उपन्यास
121 दुड़िया
विश्वास पाटील
कथा
70 हसीं सितम
मालती जोशी
83 पड़ोसी
गिरिमा घारेखान
97 समाधि-लेख
केन सारो विवा
115 नगाड़ा
रेणुका अस्थाना
138 किताबें
कविताएं
65 दो नवगीत
यश मालवीय
90 कुछ ग़ज़लें, कुछ दोहे
उदय प्रताप सिंह
समाचार
140 वार्षिक काउंसिल बैठक में अध्यक्ष का प्रतिवेदन
144 संस्कृति समाचार