सितम्बर 2014

वर्ष : 62  अंक : 09  सितम्बर 2014
 

कुलपति उवाच

व्यक्तित्व का विकास
के.एम. मुनशी 

शब्द यात्रा

ना यानी नहीं
आनंद गहलोत 

पहली सीढ़ी

और एक मुस्कान
पॉल एलुआर 

आवरण-कथा

सम्पादकीय
सवाल भाषाई आत्मसम्मान का
रघु ठाकुर
हिंदी में बात, हिंदी की बात
विकास मिश्र
भाषा का साम्राज्यवाद
न्गुगी वा थ्योंगो
हिंदी का आत्मसंघर्ष
निर्मल वर्मा
हिंदी लेखक होने की पहली पीड़ा
अभिमन्यु अनत
मैं हिंदी का लेखक हूं…
शरद जोशी
सच्ची भाषा को खोजना पड़ेगा
नर्मदा प्रसाद उपाध्याय
वह हिंदी से कभी रिटायर नहीं होंगे
पूर्णिमा पाटिल
कैसे हो समृद्ध भारतीय साहित्य…?
डॉ. राजम पिल्लै
अंग्रेज़ी बनाम हिंदी
मार्क टली 

धारावाहिक आत्मकथा

सीधी चढ़ान (बीसवीं किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी 

नोबेल कथा

जां क्रिस्तोफ
रोम्यां रोलां 

व्यंग्य

थानेदार का न्याय
प्रदीप पंत 

आलेख

कंटीली झाड़ियों में छिपे एक फूल…
विष्णु सखाराम खाण्डेकर
पंत-बच्चन के पत्रों के विवाद की अंतर्कथा
अजित कुमार
बरसों तक वह खत मां के पास बिना पढ़े पड़ा रहा था…
केशव प्रथमवीर
स्वीडन में उस ईरानी लड़के ने एक सवाल पूछा था
सुनील गंगोपाध्याय
‘सरस्वती’ में वही मसाला देता जिसमें पाठकों का लाभ समझता
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
ऋषि बारान्निकोव
हिमांशु जोशी
दुनिया का सबसे तनहा लाइब्रेरियन
पी. साईनाथ
‘मेरा वह भक्त मुझे प्रिय है’
आचार्य महाश्रमण
‘मैं वही हूं, जिसे आपने चदरा…
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
किताबें 

कहानियां

वेणु की डायरी (उपन्यास अंश)
सूर्यबाला
पॉवर कट
वंदना शुक्ल 

कविताएं

ग़ज़ल   
सूर्यभानु गुप्त
जनता वही कहार
रामनिवास ‘मानव
गज़ल         
विज्ञान व्रत 

समाचार

भवन समाचार
संस्कृति समाचार

1 comment for “सितम्बर 2014

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