Tag: धारावाहिक आत्मकथा

सितम्बर 2014

वर्ष : 62  अंक : 09  सितम्बर 2014   कुलपति उवाच व्यक्तित्व का विकास के.एम. मुनशी  शब्द यात्रा ना यानी नहीं आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी और एक मुस्कान पॉल एलुआर  आवरण-कथा सम्पादकीय सवाल भाषाई आत्मसम्मान का रघु ठाकुर हिंदी में…

जनवरी 2014

रंग चाहे तितली के हों या फूलों के, जीवन में विश्वास के रंग को ही गाढ़ा करते हैं. पर कितना फीका हो गया है हमारे विश्वास का रंग? पता नहीं कहां से घुल गया है यह मौसम हवा में कि…

जून 2014

हर साल जून के महीने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण दिवस मनाकर मनुष्यता को इस खतरे से सावधान करने की कोशिश होती है. लेकिन इस खतरे को समझने और इससे बचने की कोशिश वर्ष में एक दिन नहीं, वर्ष के…

मई 2014

‘भारत मेरा देश है, इस देश में रहने वाले सब मेरे भाई-बहन हैं…‘ यह शब्द उस ‘प्रतिज्ञा’ का अंश हैं जो महाराष्ट्र के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य-पुस्तकों में छापी जाती है और विद्यार्थी रोज़ इसका सामूहिक वाचन भी…