Tag: सूर्यभानु गुप्त

दो कविताएं

♦  सूर्यभानु गुप्त   >    हम सब बच्चे कितने अच्छे! एक-दूसरे की बेमतलब आज खून की प्यासी दुनिया बम-मिसाइलों की दीवानी हथियारों की दासी दुनिया हम बच्चों से कुछ तो सीखें! हिल-मिलकर कैसे रहते हैं कैसे हर मन के आंगन…

दिसंबर 2008

शब्द-यात्रा ‘कुर्बान’ से बलिदान तक आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  एक अकेली एक चेतना हरीश भादानी आवरण-कथा अंधे-अंधेरे समय में नैतिक प्रतिज्ञाओं को बचाना है नंद चतुर्वेदी सज्जनों का मौन गज्यादा खतरनाक है न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी उन्मादी नहीं जानते वे क्या कर…

सितम्बर 2008

शब्द-यात्रा बयान, बयां और अंदाज़े-बयां आनंद गहलोत  पहली सीढ़ी  उठो, जन्म लो मेरे साथ बंधु! पाब्लो नेरूदा आवरण-कथा प्रश्न पहचान का सवाल सारी भारतीय भाषाओं का है अच्युतानंद मिश्र एक नयी हिंदी जन्म ले रही है रामशरण जोशी भाषा आंदोलन छेड़ने…

नवम्बर 2014

सारी योजनाओं, कार्यक्रमों, वादों, दावों के बावजूद आज भी देश के, कम से कम ग्रामीण भारत के सरकारी स्कूलों में न बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है, न पीने के लिए पानी, न शौचालय. शिक्षा के नाम पर…

अक्टूबर 2014

उजाले के प्रति आस्था और विश्वास का यह स्वर वस्तुतः जीवन के प्रति उस लगाव की प्रतिध्वनि है, जो सांसों को परिभाषित भी करता है, और परिमार्जित भी. रात जब बहुत लम्बी हो जाती है तो भोर के उजाले के…