चिंतन कौन जाने किस तरह, किंतु दुनिया के सभी धर्म हमारे देश में आ पहुंचे हैं और वे किसी को सुख से रहने नहीं देते. अब इन धर्मों का हम करेंगे क्या? यह प्रश्न अनेक लोगों के मन में समय-समय…
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समष्टि कामना की सामूहिक अभिव्यक्ति – लक्ष्मीकांत वर्मा
महाशिवरात्रि तमस तांडव का लोक में एक और रूप पाया जाता है जिसका नाम ही प्रेरणा है. इसमें प्रपन्न नृत्य के सभी अंगहारों और पदों, गतियों भ्रामरी की चाल अधिक सरल और सुगम रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं. तमस…
धर्म ईमान का पहरुआ है – डॉ. दुर्गादत्त पाण्डेय
चिंतन बुनियादी प्रश्न यह है कि क्या विश्व का जनमानस धर्म को बाहरी लबादा समझकर जब चाहे उतारकर फेंक सकता है? क्या धर्म मात्र ‘फैशन’ की चीज़ है? हकीकत तो यह है कि धर्म हमारे भीतर पैठा हुआ जीवंत भाव…
पावनता धर्म का सार है
♦ जे. कृष्णमूर्ति > यदि आप एक तूफान के बाद नदी के किनारे बैठे हों, तो आप देखते हैं कि जल-धारा ढेर सारा मलबा बहाकर ले जा रही है. इसी प्रकार आपको अपनी हर गतिविधि को सावधानी से देखना…
समंदर पर पुल बांधने का वक्त
♦ देवेंद्र इस्सर > पहले एक किस्सा सुनिएः काफी हाउस में एक दिन उसकी मुठभेड़ एक वेटर से हो गयी जो रामपुर का था. कहने लगा कि इंतज़ार साहब, आपने अपनी कहानियों में जो ज़बान लिखी है वह हमारे…