Category: धरोहर

क्या हम वास्तव में राष्ट्रवादी हैं?  –  प्रेमचंद

धरोहर भारत के राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन में राष्ट्रवाद की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण और निर्णायक रही है. लेकिन उस दौर में राष्ट्रवाद की कई किस्में मौजूद थीं. प्रभावशाली धारा वह थी जो राष्ट्रवाद के नाम पर अपने समाज में मौजूद भेदभाव,…

स्त्रीर पत्र

पत्र-कथा  रवींद्रनाथ ठाकुर   श्री चरणकमलेषु! आज पंद्रह वर्ष हो गये अपने विवाह को, मगर अब तक तुम्हें चिट्ठी नहीं लिखी. हमेशा तुम्हारे पास ही पड़ी रही. मुख-जबानी अनेक बातें तुमसे सुनीं, तुम्हें भी सुनायीं. चिट्ठी-पाती लिखने की दूरी भी…

सम्पादकों का गीत

महान लेखक से लेख न प्राप्त होने पर ऐसा नहीं है कि सिर्फ सम्पादक ही लेखकों को तरसाते रहते हैं. सम्पादक भी बड़े बेचारे होते हैं. तरसते रहते हैं अच्छी रचनाओं के लिए. चिरौरी भी करते हैं लेखकों की. फिर…

कुछ वर्गवाद

♦  कुट्टिचातन   >  वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, मनीषियों और वी. पी. से माल भेजने वालों सभी ने अपने-अपने ढंग से मानव-जाति का वर्गीकरण किया और अपने-अपने स्थान पर, अपनी-अपनी सीमाओं के अंदर, उनके बनाये हुए वर्ग सार्थक भी हो सकते हैं. विज्ञान…

धर्म का मतलब

♦  विवेकानंद   > अपने सहयोगी स्वामी ब्रह्मानंद को लिखे एक पत्र में स्वामी विवेकानंद ने उन्हें धर्म के वास्तविक रूप का सार समझाया था. उस पत्र के कुछ अंश. अल्मोड़ा 9 जुलाई, 1897 बहरमपुर में जैसा काम हो रहा है…