Category: उपन्यास अंश

शरणम् – नरेंद्र कोहली

धारावाहिक उपन्यास – 1 (गीता एक धर्म-ग्रंथ है और जीवन-ग्रंथ भी. जीवन के न जाने कितने रहस्यों की परतें खोलने वाला ग्रंथ बताया गया है इसे. पर गीता का कथ्य किसी उपन्यास का कथ्य भी बन सकता है, यह कल्पना…

पुरोगामिनी (उपन्यास) भाग – 4

‘संसार के लोग दुख भुलाना जानते हैं. ‘समय’ उनके दुख को व्यतीत करा देता है; उनके पास दुख से ध्यान बंटाने के अनेक साधन हैं. मृत्यु का शोक सामयिक होता है.’ ‘मेरा मन किसी वस्तु से सुख नहीं पा सकेगा.…

पुरोगामिनी (उपन्यास) भाग – 3

आवास परिसर से बाहर होते ही सावित्री ने सत्यवान का हाथ पकड़ लिया, तब सत्यवान ने उसके कोमल हाथ को अपनी सुरक्षा में लेते हुए स्नेहिल स्वर में पूछा- ‘भयभीत हो रही हो?’ ‘हां.’ ‘मेरे रहते तुम्हें किस बात का…

पुरोगामिनी (उपन्यास) भाग – 2

सामने आये कठिन मोड़ पर उसके सम्मुख आ खड़ी हुईं एक सौम्य वृद्धा; लगा जैसे वे उसी की प्रतीक्षा में बैठी हों. संसार के दुखों, कष्टों और अवसादों को मिटाने के प्रयास में लगी इस करुणामयी ने अपना परिचय देते…

पुरोगामिनी (उपन्यास) भाग – 1

सूर्योदय नहीं हुआ है; लगता है, होगा भी नहीं, सावित्री का बाह्य मन अवसाद के काले बादलों से घिरकर आहत हो जाता है. पिछले बारह महीनों से यही हो रहा है. बीतते हुए दिनों के साथ वह अपने-आप को ही…