बचपन गाथा ♦ सूर्यबाला > यह लम्बी संस्मरणनुमा कहानी बाल-मन को समझने-समझाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. प्रस्तुत है इस कथा के कुछ सम्पादित अंश. एयरपोर्ट पर बाहर निकलते ही बर्फीली हवाओं ने धावा बोल दिया. अठारह घंटे प्लेन…
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अगस्त 2008
शब्द-यात्रा ‘ऊपर’ और ‘अंतर’ में अंतर आनंद गहलोत पहली सीढ़ी हे प्रभु! रवींद्रनाथ ठाकुर आवरण-कथा आओ, आकाश को ऊंचा करें हमारे आसपास दिखनेवाली ऊंचाइयां सूर्यबाला जंगल की आग बुझानी है… ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शब्द ही आकाश को ऊंचा उठाते हैं…
मार्च 2008
शब्द-यात्रा घड़ी-घड़ी मेरा दिल धड़के आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मर-मर क्या जीना हरीश भादानी आवरण-कथा व्यंग्य के साथ भी हंसी आती है, पर वह ऐसी नहीं होती हरिशंकर परसाई मगर इंसान हंसता क्यों है? कृश्न चंदर मेरा व्यंग्य सवालों के जवाब…
सितम्बर 2014
वर्ष : 62 अंक : 09 सितम्बर 2014 कुलपति उवाच व्यक्तित्व का विकास के.एम. मुनशी शब्द यात्रा ना यानी नहीं आनंद गहलोत पहली सीढ़ी और एक मुस्कान पॉल एलुआर आवरण-कथा सम्पादकीय सवाल भाषाई आत्मसम्मान का रघु ठाकुर हिंदी में…
जनवरी 2010
महाकवि जयशंकर प्रसाद की कविता थी- ‘छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएं आज कहूं/ क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूं’. यूं तो लेखक की हर रचना में कहीं न कहीं अपनी बात होती ही है…