Category: स्तंभ

कर्मेसु कौशलम् (कुलपति उवाच ) मई 2016

स्वकर्म के प्रति मेरी खोज और उसके करने की रीति मिलकर एक कर्म बनते हैं. आमने सामने आ उपस्थित हुए कार्य को मैं अपनी सारी शक्ति समर्पित करता हूं. ऐसी समर्पण बुद्धि से किया हुआ कोई भी काम मनुष्य के…

पूरा मनुष्य बनाने के लिए  –  एच. एन. दस्तूर

शिक्षा (भारतीय विद्या भवन द्वारा संचालित 92 स्कूलों में इस समय 1,85,000 छात्र 6100 अध्यापकों के निर्देशन में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. सन 2014-15 में इन स्कूलों में दसवीं की परीक्षा (सीबीएसई) में उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 99.84 था!…

शरणम् (धारावाहिक उपन्यास – 3) नरेंद्र कोहली

गीता एक धर्म-ग्रंथ है और जीवन-ग्रंथ भी. जीवन के न जाने कितने रहस्यों की परतें खोलने वाला ग्रंथ बताया गया है इसे. पर गीता का कथ्य किसी उपन्यास का कथ्य भी बन सकता है, यह कल्पना ही चौंकाती है. वरिष्ठ-चर्चित…

गांधी और दलित  –   पन्नालाल सुराणा

आवरण-कथा महात्मा गांधी ने वास्तव में अछूत प्रथा एवं समूचे जाति-भेद को मिटाने के लिए भरसक प्रयास किये. लेकिन चंद दलित नेता उन्हें ‘दलित विरोधी’ मानते थे. उनकी मृत्यु के छह दशक बाद भी कांशीराम-मायावती जैसे राजनीतिक नेता हों या…

भारतीयता हमारी पहचान होनी चाहिए   –  रमेश नैयर

आवरण-कथा भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज को सदियों से जातिवाद बांटता रहा. छुआछूत की प्राचीरें खड़ी करता रहा. परंतु सौभाग्यवश उसे समतल-समरस करने की शक्तियां भी सक्रिय होती रहीं. संत-कवियों की उसमें विशेष भूमिका रही. उन्होंने लम्बी राजनीतिक दासता से…