Category: आत्मकथांश

मानवता जन्मजात गुण नहीं है

बड़ों का बचपन ♦  चार्ल्स डार्विन  >   एक जर्मन सम्पादक ने मुझे लिखा कि मैं मन और व्यक्तित्व के विकास के बारे में लिखूं. इसमें आत्मकथा का भी थोड़ा-सा पुट रहे. मैं इस विचार से ही रोमांचित हो गया. शायद यह…

ऐसे पढ़ाई की थी मैंने

बड़ों का बचपन ♦  हेलन केलर  >   जब गिलमैन स्कूल में मेरा दूसरा साल शुरू हुआ तो मैं आशा से भरी हुई थी और सफल होने का मेरा दृढ़ निश्चय था. लेकिन शुरू के कुछ सप्ताहों में ही मुझे अनपेक्षित…

मां हमें खास होने का अहसास कराती

बड़ों का बचपन ♦  चार्ली चैप्लिन  >   हम समाज के जिस निम्नतर स्तर के जीवन में रहने को मज़बूर थे वहां ये सहज स्वाभाविक था कि हम अपनी भाषा-शैली के स्तर के प्रति लापरवाह होते चले जाते,लेकिन मां हमेशा…

नहीं मां, मैं अभी नहीं सोऊंगा

बड़ों का बचपन ♦   लियो टॉल्स्टॉय  >    बचपन के सुख दिन, जो कभी नहीं लौटेंगे! क्या कभी कोई उसकी स्मृतियां भुला सकता है? उसके बारे में सोचते ही मेरा मन आज भी उल्लसित हो उठता है, आत्मा में एक नूतन…

पिता चाहते थे मैं कलेक्टर बनूं

बड़ों का बचपन ♦  ए.पी.जे. अब्दुल कलाम  >   मेरा जन्म मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) के रामेश्वरम कस्बे में एक मध्यम वर्गीय तमिल परिवार में हुआ था. मेरे पिता जैनुलाबदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और न…