Category: आत्मकथांश

फर्श पर बनाया था पिताजी का चित्र

बड़ों का बचपन  ♦  आर. के. लक्ष्मण  >   मुझे याद नहीं पड़ता कि ड्राइंग के अलावा और कुछ करना चाहा था मैंने. बच्चा था तब भी, फिर कुछ बड़ा होने पर भी, कॉलेज में पढ़ने वाले युवा के रूप…

ज़िद मैंने पिता से सीखी थी

बड़ों का बचपन ♦  नेल्सन मण्डेला  >    मेरे जन्म के समय पिता ने एक ही चीज़ दी थी मुझे-मेरा नाम. रोलिहलहला. वैसे तो इसका मतलब होता है- ‘पेड़ की शाखा को खींचना’ पर समाज में इसकाप्रचलित अर्थ है गड़बड़ी…

पिता ने अहिंसा का साक्षात पाठ पढ़ाया

बड़ों का बचपन ♦  महात्मा गांधी  >    मेरे एक रिश्तेदार के साथ मुझे बीड़ी-सिगरेट पीने का चस्का लगा. हमारे पास पैसे तो होते नहीं थे. हम  दोनों में से किसी को यह पता नहीं था कि सिगरेट पीने से कोई फायदा…

हेलन की आत्मकथा (भाग – 4)

  दैनिक नियम के अनुसार मैंने भोजनोपरांत यूनानी वनदेवता सटीरोस को जल अर्पित किया. महाराज मेरी श्रद्धा से परिचित थे. अतः उन्होंने कोई प्रश्न नहीं किया. वन विभागाध्यक्ष, आटविक को आदेश दिया गया कि सभी सहचरों तथा सैनिकों के भोजन…

हेलन की आत्मकथा (भाग – 3)

अंततः तात आचार्य के ग्रंथ अर्थशास्त्र के लोकार्पण का दिन आ गया. राजप्रासाद के बाहर एक विराट पट-मंडप निर्मित किया गया. राज-परिवार के बैठने के लिए आसन इस प्रकार लगाए गए कि उनका पृष्ठ भाग प्रासाद की ओर हो. ऐसा सुरक्षा…