कुलपति उवाच
03 भारत जियेगा कैसे?
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 तमसो मा ज्योतिर्गमय
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 प्रकाश, ओह! प्रकाश कहां है?
रवींद्रनाथ ठाकुर
आवरण-कथा
12 एक सम्भव सम्भावना
सम्पादकीय
14 गांधी सम्भावना ही नहीं विकल्प भी हैं
शिवदयाल
19 गांधी के लिए इक्कीसवीं सदी
कनक तिवारी
25 गां से गांधी गां से गांव
प्रकाश चंद्रायन
35 गांधी का अंत क्यों नहीं होता?
प्रकाश दुबे
40 अंधेरे में प्रकाश
सविता प्रथमेश
43 बा-बापू
रामदास भटकळ
49 आइए, हम गांधी को श्रद्धांजलि देने….
जवाहरलाल नेहरू
व्यंग्य
86 मीडिया और मुंगेरीलाल
शशिकांत सिंह `शशि’
धारावाहिक उपन्यास
101 योगी अरविंद (तीसरी किस्त)
राजेंद्र मोहन भटनागर
शब्द-सम्पदा
138 ऑनर किलिंग के बहाने महिमा गोत्र की
अजित वडनेरकर
आलेख
70 आज फिर हमें महात्मा गांधी की ज़रूरत है
बलराज साहनी
82 खैयाम अर्थात शब्द-राग की सम्मानभरी जुगलबंदी
जितेंद्र भाटिया
92 जनवादी पत्रकारिता का हलधर
आलोक भट्टाचार्य
96 या देवी सर्वेभूतेषु कांति रूपेण संस्थिता!
संतन कुमार पांडेय
120 क्या सचमुच एक असम्भव
सम्भावना हैं गांधी?
संजय द्विवेदी
123 कलकत्ता ने लाज रख ली थी अहिंसा की
सुधीर चंद्र
136 किताबें
कथा
55 बापू की अंतर्व्यथा
नंदकिशोर आचार्य
77 लाहौर की जगमाई
डॉ. चंद्र त्रिखा
कविताएं
76 रोशनी की रीढ़
यश मालवीय
90 तीन कविताएं
मोहन कटारिया
119 कथांश
नीरज मनजीत
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार