कुलपति उवाच
03 आत्माराम
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 भगवद् गीता को प्रणाम
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 अंतिम उत्सव
रवींद्रनाथ ठाकुर
आवरण-कथा
12 राग दरबारी
सम्पादकीय
14 मैं `राग-दरबारी’ दोबारा नहीं लिखूंगा
ज्ञान चतुर्वेदी
18 अंदाज़े बयां और…
सूर्यबाला
24 गंजही लोकतंत्रीय दरबारगिरी चालू आहे!
प्रेम जनमेजय
30 महाराज, मैं तो लंगड़ ही रह गया…!
विकास मिश्र
35 `राग दरबारी’ का एक यथार्थ यह भी!
रमेश उपाध्याय
व्यंग्य
42 दरबारी राग
शशिकांत सिंह `शशि’
उपन्यास अंश
96 राग दरबारी
श्रीलाल शुक्ल
शब्द-सम्पदा
132 थमते रहे ग्राम, बसते रहे नगर
अजित वडनेरकर
आलेख
46 इमाम के भीतर का महात्मा
एस. गोपालकृष्णन
48 इतिहास का सच बनाम पुराकथाओं का सच
रोमिला थापर
57 `मेरे भीतर बहती नदी’
पद्मा सचदेव
72 केदारनाथ सिंह की ज़मीन
विजय कुमार
82 सितारों भरी पताका का गीत
लक्ष्मेंद्र चोपड़ा
90 बेहतर जीवन के लिए
दलाई लामा
92 हज़ार बच्चों की मां!
डॉ. शशिबाला
123 संवेदनहीनता के खिल़ाफ
होमी दस्तूर
127 लो! मेहमान आ गये
डॉ. उषा अरोड़ा
134 लिपि-लोक में गुणाकर की अक्षर-कथा
रमेश दवे
138 किताबें
कथा
51 अमृत निवास
रिफ़्अत
115 कचोट
डॉ. विमला मल्होत्रा
कविताएं
69 मुंबई में कवि केदारनाथ
सुंदरचंद ठाकुर
77 कविताएं
केदारनाथ सिंह
131 दो गज़लें –
हस्तीमल हस्ती
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार
आवरण चित्र
अशोक भौमिक