पहली सीढ़ी
।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।।
फूलों की क्यारी भरी हुई
वह घास वहां फिर हरी हुई.
उड़ रही तिललियां चिड़ियां जो
वे लगती जैसे तिरी हुई
आया वसंत… आया वसंत
कुछ नीला नीला आसमान
कुछ पीली उजली हुई धूप
पेड़ों ने बदले रंग कई,
पत्तों के बदले कई रूप
आया वसंत…
मन में है थोड़ी हलचल-सी,
कोयल बोली है कोयल-सी
कोई चितवन मन मोह रही
मन में उतरी निर्मल जल-सी
आया वसंत…
यह रंग वसंती छाया है
यह कोई कैसी माया है,
खिलता खुलता है मन में कुछ
यह मन कैसा भरमाया है
आया वसंत… आया वसंत
– प्रयाग शुक्ल