Category: पिछले अंक

नवम्बर 2010

            शब्द-यात्रा घर इनसान का, बना भगवान का आनंद गहलोत पहली सीढ़ी किरन-किरन फिर जमा करें हम जावेद अख्तर आवरण-कथा आओ, हम रोशनी को बांट लें सम्पादकीय तमसो मा ज्योतिर्गमय रमेश दवे एक दीया बाहर…

अक्टूबर 2010

पता नहीं क्या सोचकर हमारे संविधान-निर्माताओं ने इस देश को ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ यानी ‘इंडिया जो कि भारत’ कहा होगा, पर आज़ादी के 62 साल बाद आज हमारा देश इंडिया और भारत में बंट गया है. इंडिया यानी वह हिस्सा…

सितम्बर 2010

जब भाषाओं और बोलियों की चिंता राजनीति से जुड़ जाती है तो किसी षड्यंत्र और खतरे की बू आने लगती है. इन सारी बोलियों के पक्षधरों को इस बात का विचार करना होगा कि कहीं बोलियों को हिंदी से पृथक…

अगस्त 2010

              शब्द-यात्रा ‘ख़ानदानी’ का ख़ानदान आनंद गहलोत पहली सीढ़ी सम्भावनाओं से घिरे हैं हम सर्वेश्वरदयाल सक्सेना आवरण-कथा ताकि हम मनुष्य बनकर जी सकें न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी जाति कौन तोड़ेगा राजकिशोर विभाजित घर गज्यादा दिन…

जुलाई 2010

चार सप्तकों के माध्यम से हिंदी की समकालीन कविता को एक नयी पहचान देने वाले अज्ञेय रचना को रचनाकार के ऐसे ‘आत्म बलिदान’ के रूप में स्वीकारते हैं जिसके द्वारा वह देवताओं से उऋण हो जाता है. वे मानते हैं…