चार सप्तकों के माध्यम से हिंदी की समकालीन कविता को एक नयी पहचान देने वाले अज्ञेय रचना को रचनाकार के ऐसे ‘आत्म बलिदान’ के रूप में स्वीकारते हैं जिसके द्वारा वह देवताओं से उऋण हो जाता है. वे मानते हैं कि उऋण होने की यह छटपटाहट ही विवशता है जो (रचनाकार से) लिखाती है. अज्ञेय ने कविताओं के साथ-साथ कहानियां, उपन्यास, यात्रा-कथाएं, ललित निबंध आदि सब लिखे और हर विधा में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है. इस अंक में हमने उनके अवदान को याद करने और उसके पुनरावलोकन का एक प्रयास किया है. इसमें अज्ञेय द्वारा रचित कुछ ऐसी सामग्री भी है जो अब तक छपी नहीं थी. रघुवीर सहाय द्वारा लिया गया उनका एक इंटरव्यू भी इस अंक में है जो पता नहीं किन कारणों से आज तक अनछपा रह गया था. साथ ही कुछ पत्र भी हैं जो अज्ञेय ने मित्रों को लिखे और उन्होंने अज्ञेय को. यह सारी सामग्री हमारे समय के इस महत्त्वपूर्ण बहुआयामी रचनाकार को समझने का एक अनूठा अवसर देती है-
शब्द-यात्रा
ख़ुदा, अज़ान और नमाज़
आनंद गहलोत
पहली सीढ़ी
मैं सुन लूंगा
अज्ञेय
आवरण-कथा
बहुआयामी अज्ञेय
सम्पादकीय
अज्ञेय को पढ़ना-समझना क्यों ज़रूरी है?
रमेशचंद्र शाह
वह दीप अकेला स्नेह भरा
विजय कुमार
चुप की दहाड़ में छिपा सच
कृष्णदत्त पालीवाल
एक पत्रकारिता लीक से हटकर
अच्युतानंद मिश्र
लेखक का काम ही अर्थों की खोज और प्रतिष्ठा है
अज्ञेय
कब लौटोगे यायावर
पद्मा सचदेव
ऐसे बना मैं अज्ञेय
अज्ञेय
किस्सा एक धूपछांही प्रेम का
पुष्पा भारती
यह सब मैं बिलकुल लिखना नहीं चाहता था
शमशेर बहादुर का पत्र
तुम क्यों गलत समझे?
जैनेंद्र कुमार का पत्र
स्पष्टवादिता के नाम पर दो-एक बातें मैं भी कहूं…
अज्ञेय का पत्र
मेरी पहली कविता
अज्ञेय
मेरी पहली कहानी
नये-पुराने मां-बाप
गोविंद मिश्र
आलेख
वासुदेव प्याला
अज्ञेय
सम्पादक और डाकिया
अज्ञेय
बहता पानी निर्मला
अज्ञेय
मिजोरम का राज्यपशु – हूलक गिब्बन
डॉ. परशुराम शुक्ल
वह फ्ऱांसीसी युवक
नवीन दीक्षित
ऐसा दिखना चाहिए कवि
अज्ञेय
व्यंग्य
अहा! आत्मा – एक नयी खोज
राधेश्याम तिवारी
उपन्यास अंश
कंथा (तीसरी किस्त)
श्याम बिहारी श्यामल
कहानी
गैंग्रीन
अज्ञेय
रिंगटोन
मनहर चौहान
दंत-विहीन विधुर
डॉ. इंदु रायजादा
कविताएं
सात कविताएं
अज्ञेय
गीत मैं गा ही गया
रामदरश मिश्र
समाचार
संस्कृति समाचार
भवन समाचार