Category: पिछले अंक

फरवरी 2009

      तू इधर-उधर की न बात कर, यह बता कि काफ़िला क्यों लुटा; मुझे रहज़नी का गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है…   शब्द-यात्रा ‘वीणा’ से निकला ‘प्रवीण’ आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  राह का अंत न नाप…

जनवरी 2009

              शब्द-यात्रा ‘लकीर’ की लक्ष्मण-रेखा आनंद गहलोत पहली सीढ़ी  हे पथिक हरीश भादानी  आवरण-कथा कालजयी साहित्य की पहचान रमेशचंद्र शाह सारा साहित्य कालजयी क्यों नहीं होता? डॉ. आनंदप्रकाश दीक्षित संदेश आलेख जब कहानी जीवन का…

दिसम्बर 2011

‘बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि ले’ का दर्शन है यह. यह बात अच्छी भी लगती है और उपयुक्त भी. पर फिर यह सवाल भी मन में आता है कि बीती त्रासदियों को भुलाकर नयी शुरुआत वाली बात तो…

नवम्बर 2011

आपने कभी तितली को किताब के पन्नों में समेटा है? मर जाती है जब, तब सिमट पाती है तितली. ज़रूर समेटा होगा मैंने बचपन में किसी तितली को. इसीलिए, उस दिन मेरे कमरे में ढेरों तितलियां उड़ी तो थीं, पर…

अक्टूबर 2011

ज्योति-पर्व पर उस प्रकाश-पुंज को स्मरण करना अपनी राहों को आलोकित रखने का प्रयास है. दुनिया भर के देशों में आज गांधी को फिर से याद किया जा रहा है. ज़रूरी हो गया है कि अंधेरों के खिलाफ लड़ी जा…