Category: पिछले अंक

दिसंबर 2017

कुलपति उवाच  03   शब्द और कर्म      के.एम. मुनशी अध्यक्षीय 04   अपने आप पर नियंत्रण रखो      सुरेंद्रलाल जी. मेहता पहली सीढ़ी 11   अबकी बार लौटा तो      कुंवर नारायण व्यंग्य 118  राजा के आंसू      शशिकांत सिंह `शशि’ शब्द-सम्पदा…

अगस्त  2016 

कुलपति उवाच  मेरा सत्य  के.एम. मुनशी  अध्यक्षीय  अंतिम सत्य सुरेंद्रलाल जी. मेहता  पहली सीढ़ी  हे पवित्र, हे अनिंद्य  रवींद्रनाथ ठाकुर  आवरण–कथा  हस्तक्षेप के पक्ष में  सम्पादकीय  हस्तक्षेप की परम्परा  हरिवंश  किनारे खड़े होकर तमाशा देखने के दिन गये  चंद्रभूषण  हस्तक्षेप, आलोचना और छींटाकशी के बीच…

मई 2016

राष्ट्रवाद को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं होती रही हैं. इसकी आवश्यकता और इसके खतरों को लेकर विद्वानों में इतिहास जितनी पुरानी बहस चलती रही है. इसी राष्ट्रवाद के चलते दुनिया ने दो विश्वयुद्धों की विभीषिका झेली है और इसी…

अप्रैल  2016

कुलपति उवाच कर्मयोग का संदेश के.एम. मुनशी अध्यक्षीय राजाजी और मुनशी सुरेंद्रलाल जी. मेहता पहली सीढ़ी मुक्ति की आकांक्षा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आवरण-कथा इतने पास… पर कितने दूर सम्पादकीय उड़ान भरती आकांक्षाओं का सच रामशरण जोशी व्यवस्था के गटर में…

दिसंबर, 2005

  विदाई निर्मल वर्मा – चीड़ों से उतरती चांदनी अमृता प्रीतम – निःशब्द होते शब्द के.आर. नारायणन – हमारा राष्ट्रपति अलविदा 2005 फिर लौटकर मत आना ! अमरीकी नागरिको !   नोएम चॉम्स्की नदी के द्वीप अज्ञेय वह दिन   “हैलो,…