मार्च 2021

कुलपति उवाच

03   क्रांतिकारी परिवर्तन

     के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04   मन की शक्ति

     सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11   उजास में

     कुंतल कुमार जैन

उपन्यासअंश

112  ढलती सांझ का सूरज (भाग – 3)

     मधु कांकरिया

व्यंग्य

74   कोरोना की वजह से

     मनमोहन सरल

शब्दों का स़फर

136  दम्पती यानी घर के मालिक

     अजित वडनेरकर

आवरणकथा

12   तू स्त्री है, इसलिए

     सम्पादकीय

14   छितरे वजूद को संवार ले जाऊंगी

     सूर्यबाला

18   स्त्री हूं इसलिए…

     सुधा अरोड़ा

22   दुनिया की आधी आबादी के नाम

     जयश्री सिंह

26   क्योंकि मैं स्त्री हूं……..

     रुचि भल्ला

29   परिवार का ऑक्सीजन-टेंट

     राजी सेठ

32   वे अपना आकाश रच रही हैं

     डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव

34   सवाल स्त्री-चेतना के निहितार्थ समझने का है

     डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय

40   भारतीय नारी

     जवाहरलाल नेहरू

आलेख

46   महादेवी, जैनेंद्र और वह टिप्पणी

     सुरेश ऋतुपर्ण

62   `मुझे कोई नहीं समझ सकता’

     अने फ्रांक

66   कुहासे में डूबी सिलिकॉन वेली

     लक्ष्मेंद्र चोपड़ा

76   निमंत्रण

     नरेंद्र कोहली 

86   उम्रे-दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन…

     उमाशंकर चतुर्वेदी

107  वह `रंग विदूषक’ यायावर…

     सत्यदेव त्रिपाठी

110  ज़िद पहले गाने की

     किशन शर्मा

130  मोहब्बत एक खुशबू है…

     गंगाशरण सिंह

132  मैं जानती थी…

     ममता कालिया

136  किताबें

कथा

42   कुछ बेहद छोटी कहानियां

     कविता कृष्णपल्लवी

49   कस्बे का शिव मंदिर

     मधुसूदन आनंद

93   जीवन-संध्या का सुख

     विमला मल्होत्रा

कविताएं

21   कंधे

     सुधा अरोड़ा

39   स्त्री

     रामकुमार आत्रेय

44   दो कविताएं

     रश्मि धवन

58   पहाड़ी हम जिसे पार करते हैं

     अमांडा मोर्गन

73   हिंस्रमेवजयते

     हूबनाथ

समाचार

140  भवन समाचार

144  संस्कृति समाचार

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