कुलपति उवाच
03 एकता के लिए
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 संस्कृति की परिभाषा
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 कामना
श्रीनरेश मेहता
आवरण–कथा
12 बना रहे वैविध्य हमारा
सम्पादकीय
14 विविधता बची रहेगी तो बचेंगे हम
प्रियदर्शन
18 विविधता, यानी एक का अनेक में होना
शिवदयाल
24 जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद…
विनोद बिहारी लाल
32 सहिष्णुता का अल्गोरिद्म
कैलाश सत्यार्थी
धारावाहिक–उपन्यास – 2
115 ढलती सांझ का सूरज
मधु कांकरिया
व्यंग्य
86 ईमानदारी
यज्ञ शर्मा
शब्द–सम्पदा
136 बुर्जुआ वर्ग का बुर्ज़
अजित वडनेरकर
आलेख
39 वसंत को छू लेना चाहूं!
विजय कुमार दुबे
45 कैसे वसंत फूलना भूल गया
डॉ. सत्येंद्र चतुर्वेदी
59 बिछौना हरी घास का
प्रयाग शुक्ल
62 उसे किताबें दो, किताबें दो!
गिरधर राठी
66 पिछले जनम की यदि नहीं मनुहार थीं, तो कौन थीं तुम!
सत्यदेव त्रिपाठी
80 शम्सुर्रहमान फारुकी की याद में
सलाम बिन रजाक
83 अलविदा अब्बू
मेहर अफशां फारुकी
93 `हो सकता है, हमारे पूर्वज हिंदुस्तानी रहे हों!’
त्रिलोक दीप
98 फलों से लदे कद्दावर पेड़ को झुके हुए देखा है?
निर्मला डोसी
110 `वो ग़ज़ल का लहज़ा नया-नया’
प्रतिभा नैथानी
138 किताबें
कथा
49 आखिरी विकल्प
अरुणेंद्र नाथ वर्मा
88 काठ की टेबल
बल्लभ डोभाल
133 पगला
भगवती प्रसाद द्विवेदी
कविताएं
44 दो ग़ज़ल
रमेश यादव
48 मन में गूंजे फाग
डॉ. विद्यारानी
78 एक रेलगाड़ी है जो हमारे आने से पहले चली जाती है
अम्बिका दत्त
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार