Category: विधाएँ

ऐसे पढ़ाई की थी मैंने – हेलन केलर

 जब गिलमैन स्कूल में मेरा दूसरा साल शुरू हुआ तो मैं आशा से भरी हुई थी और सफल होने का मेरा दृढ़ निश्चय था. लेकिन शुरू के कुछ सप्ताहों में ही मुझे अनपेक्षित परेशानियों का सामना करना पड़ा. श्री गिलमैन इस…

आठ साल का वह

आठ साल का हो गया पान सिंग मां देस भेज रही है उसे नीचे मुरादाबाद से उतरते ही पैसे ही पैसे हैं वहां से भेजेगा यह पान सिंग चचेरे भाई के साथ जाना वो है 19 का आठ साल का…

मानवता जन्मजात गुण नहीं है

एक जर्मन सम्पादक ने मुझे लिखा कि मैं मन और व्यक्तित्व के विकास के बारे में लिखूं. इसमें आत्मकथा का भी थोड़ा-सा पुट रहे. मैं इस विचार से ही रोमांचित हो गया. शायद यह मेरी संतानों या उनकी भी संतानों…

मुकाबला ईश्वर से था…

क्यायह कयामत का दिन है? ज़िंदगी के कई वे पल, जो वक्त की कोख से जन्मे और वक्त की कब्र में गिर गये, आज मेरे सामने खड़े हैं… ये सब कब्रें कैसे खुल गयीं? और ये सब पल जीते-जागते कब्रों…

फ़र्क अंग्रेज़ी और देसी का

बहुत पीछे लौट रही हूं. अपने बचपन की ओर. जाने कितने मोड़ उलांघ आयी हूं. हर मोड़ का एक रंग. आंखों के आगे बेशुमार रंग झिलमिला रहे हैं. ऐसा देख सकने के लिए जाने कितने बसंत, पतझर, सर्दी, गरमी, बरसात…