(सीरिया के कवि नज़ार त़ौफीक कबानी को आधुनिक अरब शायरी का पितामह माना जाता है. उनकी पहली नज़्म ‘बेरूत ने मुझे बताया’ सन् 1944 में प्रकाशित हुई जब वह दमिश्क यूनिवर्सिटी में कानून के छात्र थे. दो दर्जन से अधिक…
Category: कविता
वसंत आया – रघुवीर सहाय
कविता जैसे बहन ‘दा’ कहती है ऐसे किसी बंगले के किसी तरु (अशोक?) पर कोइ चिड़िया कुऊकी चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराये पांव तले ऊंचे तरुवर से गिरे बड़े-बड़े पियराये पत्ते कोई छह बजे सुबह जैसे…
निजी वसंत – चित्रा देसाई
कविता मेरी दीवार पर फैली बेल उगती दूब का हरापन आंगन में फैली हरसिंगार की खुशबू सब मिलकर मेरे घर में वसंत होने का दावा करने लगते हैं. पर- फैली खुशबू उगती घास और सरसों के पीले फूल मेरे…
आया वसंत (पहली सीढ़ी) फरवरी 2016
पहली सीढ़ी ।। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।। फूलों की क्यारी भरी हुई वह घास वहां फिर हरी हुई. उड़ रही तिललियां चिड़ियां जो वे लगती जैसे तिरी हुई आया वसंत… …
बौछार
गुलज़ार मैं कुछ कुछ भूलता जाता हूं अब तुमको, तेरा चेहरा भी धुंधलाने लगा है अब तखय्युल में बदलने लग गया है अब वह सुब-हो-शाम का मामूल, जिसमें तुमसे मिलने का भी इक मामूल शामिल था! तेरे खत आते…