बचपन गाथा ♦ जयशंकर प्रसाद > कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी. हंसी और विनोद का कलनाद गूंज रहा था. मैं खड़ा था. उस छोटे फुहारे के पास, जहां एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा…
बचपन गाथा ♦ जयशंकर प्रसाद > कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी. हंसी और विनोद का कलनाद गूंज रहा था. मैं खड़ा था. उस छोटे फुहारे के पास, जहां एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा…