मार्च 2013

March 2013 Cover - FNL‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते….’ का जाप करने वाला हमारा समाज वस्तुतः नारी को एक भोग्या अथवा वस्तु के रूप में ही देखता है. आज जीवन में हर क्षेत्र में नारियां उपलब्धियों के शिखर छू रही हैं, लगातार स्वयं को प्रमाणित कर रही हैं. इसके बावजूद इस सच्चाई को स्वीकारना ही होगा कि हमारे जीवन में, सोच में नारी को वह स्थान नहीं दिया गया जिसकी वह अधिकारिणी है.

1910 में ‘महिला सशक्तीकरण’ के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. 1917 में 8 मार्च को यह दिवस मनाने की कहानी रूस में महिलाओं द्वारा रोटी की कमी के विरोध से शुरू हुई थी. अब महिला सिर्फ़ परिवार का पेट भरने की बात नहीं कर रही, अब ‘महिला दिवस’ महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बन गया है. समाज में सम्मान से जीने के अधिकार की लड़ाई है यह. इस सम्मान में हर स्तर पर बराबरी की आकांक्षा तो शामिल है ही, एक मनुष्य के रूप में स्वीकारे जाने की मांग भी है. पशुता की ताकतों के खिलाफ़ लड़ाई का प्रतीक भी है यह दिवस. इसी लड़ाई के संदर्भों को स्पष्ट करती, इस बार की आवरण-कथा में आधी आबादी के ‘पूरे सच’ को उजागर करने की कोशिश की गयी है.

 

कुलपति उवाच

पूर्णत्व की ओर
के. एम. मुनशी

शब्द-यात्रा

गिनती के शब्द
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

मेरे बिना तुम प्रभु ?
रेना मारिया रिल्के

आवरण-कथा

सम्पादकीय
बंद दरवाज़ों पर दस्तक देती टेक्नोकल्चर की गुड़िया
कुमुद शर्मा
प्रश्न-युग का एक प्रश्न
रमेश दवे
दामिनी ! तुममें पूरे इतिहास को ज़िंदा होना है !
सुधा अरोड़ा
अंतःपुर की कैद से बाहर
आशापूर्णा देवी
‘शायद विश्व को आज एक मां की ज़रूरत है’
सूर्यबाला
नौ सपने
अमृता प्रीतम
डायरी का पृष्ठ
कृष्णा अग्निहोत्री
मेरी पहली कहानी
दोमुंहे सांप
प्रेम कुमार

महाभारत जारी है

राज-विवेक
प्रभाकर श्रोत्रिय

धारावाहिक आत्मकथा

आधे रास्ते (दूसरी किस्त)
कनैयालाल माणिकलाल मुनशी

व्यंग्य

पेड़ के नीचे बैठा बूढ़ा  
गोपाल चतुर्वेदी
विद्याविरोधी, विद्यामर्दनी शिक्षा संस्थान
हरि जोशी
कूटनीति
सुधीर निगम

आलेख

दूधातोली अर्थात स्वराज की एक बानगी
अनुपम मिश्र
धर्म और विज्ञान की सुलह
प्रभु जोशी
वसंत के अग्रदूत और बिदाकर्ता निराला
अजित कुमार
कर्म की बांसुरी     
खलील जिब्रान
आंध्र प्रदेश का राज्यवृक्षः नीम
डॉ. परशुराम शुक्ल
नारी-सत्ता की जय हो!
गोपाल प्रसाद व्यास
‘हरियाली की तरह फैल जाऊंगा’
डॉ. दामोदर खड़से
निर्जन टापू पर अकेले स्वामीजी
से. रा. यात्री
समान पुस्तकों से प्रभावित थे गांधीजी और राजाजी…
मोनिका फेल्टन
किताबें 

कहानी

वसुधा की डायरी
सुदर्शन वशिष्ठ
पिघले हुए रिश्ते
कृष्णा श्रीवास्तव

कविता      

फागुन गाता फाग  
दिनेश शुक्ल
रंग के राग     
हरीश निगम
दो  कविताएं  
हरिनारायण व्यास
दो ग़ज़लें   
नामवर

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