कुलपति उवाच
03 जैविक एकता की समझ
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 भारत का अर्थ और ज्ञान
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 सृजन का शब्द
जॉ स्टार अण्टर मेयेर
धारावाहिक उपन्यास
92 योगी अरविंद (सातवीं किस्त)
राजेंद्र मोहन भटनागर
व्यंग्य
85 झंडा और डंडा
शशिकांत सिंह `शशि’
शब्द-सम्पदा
138 सलाह-मश्वरा से सुलह-स़फाई तक
अजित वडनेरकर
आवरण-कथा
12 तब बसंत आता है
सम्पादकीय
14 स्मृतियों की पुकार है बसंत
सुरेश ऋतुपर्ण
21 मेरा वाला बसंत कहां है?
विजय किशोर मानव
25 रग-रग में… रंगीन चुनरिया झूठी है!
विकास मिश्र
29 आना बसंत का दबे पांव
कन्हैयालाल नंदन
33 हे मेरे बसंत
डॉ. श्रीराम परिहार
37 पंछी ऐसे आते हैं
प्रयाग शुक्ल
40 लुप्त होने के कगार पर बसंत
गोपाल चतुर्वेदी
आलेख
46 लेखक की आज़ादी
ज्यां पॉल सार्त्र
50 साकार प्रबुद्ध चेतना
एच. एन. दस्तूर
53 संकट में साबरमती आश्रम
महादेव विद्रोही
61 भारतीय होने के अर्थ या अनर्थ
रमेश दवे
65 कहानियों के रफ नोट्स
गंगाप्रसाद विमल
88 साहित्य की संस्कृति
गिरीश पंकज
109 मेरे `नास्तिक’ बाबाजी
स्वस्ति वर्धन मिश्र
113 मर जाने के बाद भी कुछ खत्म नहीं होता
मनमोहन सरल
123 भारतीय संस्कृति, भारतीय पर्व
लक्ष्मेंद्र चोपड़ा
130 उसने घर में भूत पाल रखा है!
संतोष शर्मा
136 किताबें
कथा
56 निवृत्ति
शिवदयाल
75 लोक-संत
राजा सिंह
119 तीन सवाल (रूसी कहानी)
लियो तोल्सतोय
कविताएं
44 तीन कविताएं
सूर्यभानु गुप्त
74 दो गज़लें
संजय मासूम
129 गज़ल
कुमार शिव
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार