कुलपति उवाच
03 बेहतरी की सच्ची आकांक्षा
के.एम. मुनशी
अध्यक्षीय
04 प्रेम – एक अलौकिक शक्ति
सुरेंद्रलाल जी. मेहता
पहली सीढ़ी
11 कितना अच्छा है
तदेउश रुझेविच (पोलिश कवि)
व्यंग्य
21 तीन आदर्श भूलें
शरद जोशी
26 खाना ईंट का : आना समाजवाद का
सूर्यबाला
29 जंगल में प्रशासनिक फेरबदल
ज्ञान चतुर्वेदी
32 हमारा टाइ अप है
सूरज प्रकाश
37 विक्रम वेताल का फाइनल किस्सा
सुभाष काबरा
40 निंदक नियरे राखिये
अरुणेन्द्र नाथ वर्मा
43 वे फेसबुक से अभिभूत हुए
आलोक सक्सेना
शब्द-सम्पदा
138 मज़ाक और मज़ेदारियां
अजित वडनेरकर
आवरण-कथा
12 रंग-व्यंग्य
सम्पादकीय
14 पूछते हैं वो कि गालिब क्यों है गालिब!
ज्ञान चतुर्वेदी
19 शरद जोशी को पढ़ते हुए
शशिकांत सिंह `शशि‘
22 साहित्य के मंच पर ऐंट्री-वाया व्यंग्य
सूर्यबाला
आलेख
46 अग्निरथ
विद्यानिवास मिश्र
50 पुरुष के साथ, पुरुष के भरोसे नहीं!
दादा धर्माधिकारी
56 उन्मुक्तता की रात
निर्मला डोसी
60 भारत में नारीवादी चेतना की प्रथम प्रतीक
जयश्री पुरवार
66 मुझे हिंदी से प्यार हो गया है
डेज़ी रॉकवेल
69 होली चढ़ी पहाड़… गावें होली देवैं असीस, हो हो हो लख रे…!
हरि मृदुल
72 यह समय आत्मसमीक्षा का है
ध्रुव शुक्ल
83 एक छाया-युद्ध के खिलाफ
जी. एन. देवी
96 भीड़ के विद्वेष और संकीर्णता का राजकीयकरण
जितेंद्र भाटिया
114 उत्तर आधुनिक समाज में लोक परम्पराओं की प्रासंगिकता
भगवती प्रसाद द्विवेदी
118 विज्ञान की पढ़ाई मातृभाषा में ही हो!
डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर
124 अवसाद का भी आनंद होता है!
रासबिहारी पाण्डेय
126 `खूब आदमी है प्रसाद!’
सत्यदेव त्रिपाठी
कथा
78 संजाल
भगवान अटलानी
86 अब ये देश हुआ बेगाना
महावीर राजी
100 तुम्हारे गले का फंदा
चिमामांडा न्गोज़ी आदिची
135 किताबें
कविताएं
76 फिर बैतलवा डाल पर
हूबनाथ
82 जेनिफर चाची के शेर
एड्रियन रिच
112 औरत
गुलाम गौश अंसारी
122 दो कविताएं
राम जैसवाल
समाचार
140 भवन समाचार
144 संस्कृति समाचार