जुलाई  :  2022

कुलपति उवाच

03    शब्द का मंदिर

      के.एम. मुनशी

अध्यक्षीय

04    स्वयं पर विश्वास रखें

      सुरेंद्रलाल जी. मेहता

पहली सीढ़ी

11    सूरज कल फिर उगेगा

      मरीने पेत्रोशियन

आवरण-कथा

12    साहित्य का सरोकार

      सम्पादकीय

14    ताकि मनुष्यता बची रहे

      अच्युतानंद मिश्र

19    यह संवाद का समय है

      बलराम

22    साहित्य से सरोकार

      ध्रुव शक्ल

26    स्वयं से संवाद

      ब्रजरतन जोशी

29    देखे थे हमने जो वो हसीं ख्वाब क्या हुए

      रमेश उपाध्याय

34    साहित्य नैतिक कर्म है

      अशोक वाजपेयी

36    समाज-परिवर्तन और साहित्य

      विद्यानिवास मिश्र

व्यंग्य

42    बात उन दिनों की है

       प्रेम जनमेजय

शब्द-सम्पदा

135  नाम में ही धरा है सब-कुछ

       अजित वडनेरकर

आलेख

46    जो गीतांजलि श्री को न जानते हैं न मानते हैं

      प्रियदर्शन

62    अपने-अपने कटघरे

      योगेंद्र कृष्णा

66    वंचितों के लिए अमेरिकी कलम

      लक्ष्मेंद्र चोपड़ा

74    साहित्य-मनीषियों की स्मृतियां

      प्रकाश मनु

82    जेरी के जल्वे

      सत्यदेव त्रिपाठी

88    उर्दू कविता के आइने में भारतीय संस्कृति

      प्रमोद शाह

100  साहित्य के सपनों के आगोश में

      उदभ्रांत

111  कलम और तलवार के सिपाही पद्मभूषण चेलिशेव

      डॉ. इंद्रजीत सिंह

118  पहाड़ की परियां

      प्रतिभा नैथानी

129  धार्मिक और राजनीतिक घेराबंदी तले ईरान का साहित्य

      जितेंद्र भाटिया

कथा

51    समर-गाथा

      मालती जोशी

96    मां को क्या चाहिए!

      चंद्रकला जैन

123  मोउमिया

      शहरियार मंदनीपौर

138  किताबें

कविताएं

87    इन फिरकापरस्तों से पूछो

      आशुतोष राणा

94    ग्रीटिंग कार्ड

      अमितोज

99    घर आंगन में धू धू है…

      दिनेश लखनपाल

110  दो गीत : दो मनस्थिति

      यश मालवीय

117  हम तो तुलसी चौरे की पूजा करते

      डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र

समाचार

140  भवन समाचार

144  संस्कृति समाचार

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