- इन दिनों
- बेहद ज़रूरी है
- बचाये रखना कुछ शब्दों को
- बड़े जतन से
- जैसे बचायी जाती है खड़ी फसल
- जंगली जानवरों से
- हांका लगाकर.
- जैसे बचाये जाते हैं
- दाल और मसाले
- सीलन और घुन से
- चटख धूप की चादर में फैलाकर
- जैसे बचाते हैं
- रंगीन कपड़ों की रंगत को
- छाया की ओट में सुखाकर
- जैसे बचा ही लेते हैं आप
- अपनी पगार से कुछ छिटपुट चिल्लर
- अपनी तमाम-तमाम ज़रूरतों को
- बेहद चालाकी से घिस्सा देकर.
- वैसे ही ज़रूरी है
- बचा लिये जायें कुछ बेहद धूपीले शब्द
- ताकि धूल में तब्दील होने से पहले
- बचाये जा सकें वे चेहरे
- जो तल्ख हवा और बदनाम समय से
- चाटे जा रहे हैं दीमक की तरह.
- कि बचा लिये जायें वे शब्द
- जो लौटा सकें
- बुझते चेहरों की रंगत
- खिलते फूल की तरह
- जो फैल जायें
- खुशबू की तरह
- सूखती नसों और मुरझाई रगों में.
- सचमुच ही बचाये जाने चाहिए वे शब्द
- जो अपनी ताकत से खींच सकें
- ढेर-सी हिम्मत और चाहत
- और लौटा दें वापिस
- झमाझम बरसात की शक्ल में.
डॉ. मृदुला जोशी
(January, 2013)
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