कवि हूं- कथ्य पर जिंदा. कि रोगी से नहीं हूं कम, जो अपने पथ्य पर जिंदा कि कवि/रोगी न होना चाहता हूं अगर, आदत डालनी होगी मुझे कि मैं रह सकूं सामर्थ्य पर, निज सत्य पर जिंदा. ♦ अरविंद…
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सत्य का गणित
♦ ब्रह्मदेव किसी ने सच ही कहा है, अंत में, सत्य की ही जीत होती है. अंत में जब न हम रहेंगे न तुम रहोगे न कोई और रहेगा यानी तब शून्य होगा किसी दार्शनिक ने ही…
दौड़
♦ मंजुला अग्रवाल अस्तबल में बंधे रहने वाले घोड़े ‘रेस’ नहीं जीतते. और न शतरंज के मोहरे जिंदगी की बाजी ही पीटते. बड़े-बड़े पेंचवान कन्ने से जाते हैं. जो दलदल में उतरते तूफानों से जूझते इस दौड़…
आमि जे बनलता
♦ शिवानी बचपन की कौन-सी याद गहरी नहीं होती? बहुत पीछे छूट गये बचपन की स्मृतियां बटोरने लगती हूं, तो एक साथ न जाने कितने चेहरे, कितनी घटनाएं, कितनी नदियां समुद्र, कितने ही शहर…
युवराज का मुंडन
♦ जयसुखलाल हाथी सीमा-विवाद तो उन दिनों भी चलते थे, जब भारत पर अंग्रेज़ों का पूर्ण प्रभुत्व और शासन था. बंबई के उच्च न्यायालय में एक महत्त्वपूर्ण मामला विचारधीन था, जिसमें एक छोटे…