Category: विधाएँ

गालिब कविता न भी करते तो अपने पत्रों से अमर हो जाते

पत्र-साहित्य अर्श मलसियानी गालिब उर्दू और फ़ारसी के एक प्रभावशाली कवि हुए हैं. फ़ारसी की शायरी पर उन्हें बड़ा गर्व था. परंतु वह अपनी उर्दू शायरी की बदौलत बहुत मशहूर हुए. पहले-पहल फ़ारसी में पत्र लिखते थे, परंतु 1850 के लगभग…

अनिवार्यता में उपजी रचना ही अच्छी होती है

(रिल्के का पत्र फ्रांज़ ज़ेवियर काप्पुस के नाम) पेरिस 17 फरवरी, 1903 प्रियवर, तुम्हारा पत्र कुछ दिन पहले मिला. मुझ पर इतना भरोसा रखा, कृतज्ञ हूं. इतना भर ही है जो मैं कर सकता हूं. तुम्हारी कविताओं पर बातचीत नहीं…

बौछार

गुलज़ार   मैं कुछ कुछ भूलता जाता हूं अब तुमको, तेरा चेहरा भी धुंधलाने लगा है अब तखय्युल में बदलने लग गया है अब वह सुब-हो-शाम का मामूल, जिसमें तुमसे मिलने का भी इक मामूल शामिल था! तेरे खत आते…

एक मासूम-सा खत

  – कन्हैयालाल ‘नंदन’   जब जब हमने कबूतर उड़ाकर आसमानों को बताया कि हम चाहते हैं अमन तो उन्होंने रास्ता अपनाया दमन का दागीं गोलियां दनादन हमारे शांति-कपोत उनके लिए हो गये स़िर्फ क्ले पिजन! उन्हें क्या पता कि…

अनलिखे पत्र का गीत

  वीर सक्सेना   पत्र तुम्हारा मिला, एक भी अक्षर नहीं लिखा,  समझ गया मैं, जीवन में कितना सूनापन है.   कितने अर्थ किये, लेकिन परिभाषा नहीं मिली कुछ बातें ऐसी हैं जिनको भाषा नहीं मिली कुछ प्रश्नों के भीतर…