सितम्बर 2011

Sept 2011 Cover fnlइंटरनेट और बदलते वैश्विक संदर्भों ने अंग्रेज़ी को जो अतिरिक्त महत्त्व दे दिया है, उसे स्वीकारते हुए भी यह समझना आसान नहीं है कि अपनी भाषाओं को हेय अथवा कमतर समझना क्यों ज़रूरी है! ज़रूरी तो यह है कि हम अपनी भाषाओं को इस लायक बनायें कि कमतर वाली कोई बात बचे ही नहीं. सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से हिंदी समेत हमारी सभी भाषाएं काफी समृद्ध हैं. लेकिन बदलते समय की तकनीकी एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप उन्हें समृद्ध करने की ओर हमने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है. कभी अंग्रेज़ी की भी यही स्थिति थी. कहते हैं, न्यूटन ने जब गुरुत्वाकर्षण सम्बंधी अपना सिद्धांत प्रतिपादित किया था तो उन्हें विवश होकर फ्रेंच भाषा का इस्तेमाल करना पड़ा था. उन्होंने अपनी इस विवशता को व्यक्त भी किया और यह भी कहा कि हमें अपनी अंग्रेज़ी वैज्ञानिक शब्दावली को विकसित-समृद्ध करना होगा. आज यही काम हमारी भारतीय भाषाओं के लिए भी ज़रूरी है. अंग्रेज़ी ने फ्रेंच समेत अन्यान्य भाषाओं से शब्द लेकर, उन्हें अपना बनाकर स्वयं को समृद्ध बनाया. अपनी भाषा को समृद्ध और विकसित करने के लिए यही प्रक्रिया हमें भी अपनानी होगी. ऐसे ही भाषाएं विकसित होती हैं.

शब्द-यात्रा

दिल की कहानी
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

खुशनुमा बरसात में
लैंग्स्टन ह्यूज

आवरण-कथा

सम्पादकीय
क्या अंग्रेज़ी के साम्राज्यवाद से लड़ पायेगी हिंदी?
प्रियदर्शन
‘तुम्हारी हिंदी उसे कह नहीं पायेगी अगले साल…’
विजय कुमार
हिंदी की परिभाषा ही बदल रही है
डॉ. परमानंद पांचाल
भाषा और विभाषा
विद्यानिवास मिश्र
हिंदी थी दक्खिन की राजभाषा
कृपाशंकर मिश्र

मेरी पहली कहानी

कलम हुए हाथ
बलराम

आलेख

हिंदी से ही पटेगी विज्ञान और समाज के बीच की खाई
जयंत विष्णु नार्लीकर
देश को जुकाम हो गया है
नागार्जुन
परम चेतना के प्रतीक गणेश
श्री श्री रविशंकर
मृत्यु एक निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है
धर्मवीर भारती
‘देखो, मुझे क्या हो गया है?’
खुशवंत सिंह
वे हर साल डिकन्स को ज़िंदा करते हैं!
अनिल जोशी
सिक्किम का राज्यपुष्प – नोबिल आर्किड
डॉ. परशुराम शुक्ल
शासक को अहंरहित वैज्ञानिक होना चाहिए
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
भारत के कल के लिए ‘आज़’
विष्णु पराडकर
आओ, सच्ची शिक्षा से जाग लगायें
रमेश थानवी
किताबें

व्यंग्य

मराठी भाषा की पूर्वपीठिका
पु.ल. देशपांडे
चौराहे पर खड़ा देश
दिलीप गुप्ते

धारावाहिक उपन्यास

कंथा (सोलहवीं किस्त)
श्याम बिहारी श्यामल

कविताएं

सच होते सपने
राम जैसवाल
मनुआ बोला
नंदिनी

कहानियां

चींव
हरीश वाढेर
नया आकाश
मनीष कुमार सिंह

समाचार

संस्कृति समाचार
भवन समाचार

आवरण चित्र

चरन शर्मा