अक्टूबर 2011

Oct 2011 Cover FNLज्योति-पर्व पर उस प्रकाश-पुंज को स्मरण करना अपनी राहों को आलोकित रखने का प्रयास है. दुनिया भर के देशों में आज गांधी को फिर से याद किया जा रहा है. ज़रूरी हो गया है कि अंधेरों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई को धार देने के लिए गांधी के हथियारों को फिर से देखा-परखा जाए. इस अंक की आवरण-कथा ऐसी ही एक कोशिश है. रमेश नैयर, गिरिराज किशोर, पुरुषोत्तम अग्रवाल के साथ-साथ स्वर्गीय गणेश मंत्री और स्वयं गांधीजी के आलेख इस कोशिश को सार्थकता देने वाले हैं. साथ ही ‘कुजात गांधीवादी’ डॉ. लोहिया के संदर्भ में मस्तराम कपूर का आलेख और द्विजेंद्रनाथ सैगल की काव्यमय ज्योति-कथा इस अंक को व्यापक आयाम देंगी. अन्य रचनाओं के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता ओरहान पामुक का आत्मकथ्य और शीन काफ़ निज़ाम की गज़लें भी इस अंक को विशेष बनाती हैं.

शब्द-यात्रा

बदल गया ‘ग्लानि’ का अर्थ
आनंद गहलोत

पहली सीढ़ी

उजला सुख
स्वामी संवित सोमगिरि

आवरण-कथा

सम्पादकीय
आज भी खरे हैं गांधी के औज़ार
रमेश नैयर
गांधी सदा प्रेरक सम्भावना रहेंगे
पुरुषोत्तम अग्रवाल
सत्याग्रह का आधुनिक प्रयोग
गिरिराज किशोर
सत्याग्रह -आत्मबल
महात्मा गांधी
आइंस्टाइन बनाम गांधी
गणेश मंत्री

मेरी पहली कहानी

चुभता हुआ घोंसला
डॉ. दामोदर खड़से

आलेख

संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठना होगा
होमी दस्तूर
संघर्ष का प्रतीक है दीपक
योगेशचंद्र शर्मा
नागरिक का स्थाई धर्म
मस्तराम कपूर 
अंधेरे अजायबघर की तस्वीरें
ओरहान पामुक
तमिलनाडु का राज्यपुष्प – कंधल
डॉ. परशुराम शुक्ल
इस प्यार को क्या नाम दूं?
मालती जोशी
समाज का भंग होता रसमय छंद
दुर्गादत्त पांडेय
गांधीजी इंग्लैंड की टीम के 17वें खिलाड़ी बने
विजय मर्चेंट
मैं तिहाड़ जेल बोल रहा हूं
अवधेश व्यास
किताबें

व्यंग्य

तीन दिन का आमरण अनशन
यज्ञ शर्मा
निष्काम कर्म
गोपाल चतुर्वेदी

धारावाहिक उपन्यास

कंथा (सत्रहवीं किस्त)
श्याम बिहारी श्यामल

कविताएं

दो कविताएं
हृदयेश भारद्वाज
तीन गज़लें
शीन काफ़ निज़ाम
ज्योतिर्पथ का अविराम पथिक
द्विजेंद्रनाथ सैगल

कहानियां

झांझर
वर्षा  अडालजा
एक और दांडी मार्च
विद्या गुप्ता
सबसे बड़ा धर्म (बोधकथा)
शिवचरण मंत्री

समाचार

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भवन समाचार