Category: स्तंभ

वैज्ञानिक सोच के पक्ष में

♦   जवाहरलाल नेहरू   >  मैं समझता हूं, पुराने ज़माने में ज्ञानी लोग समय समय पर एकत्र होकर अपने अनुभव बांटा करते होंगे. प्रकृति के रहस्यों को जानने-समझने की कोशिश करते होंगे. हो सकता है आज के वैज्ञानिक अथवा उनमें…

इस विनाश को हम स्वयं न्योता दे रहे हैं

 ♦   रामचंद्र मिश्र    > मुद्दत से रोटी कपड़ा मकान, इन्हीं बुनियादी ज़रूरतों पर इंसानी ज़िंदगी मज़े से टिकतीआयी है. बची-खुची ज़रूरतें किस्से-कहानी, भजन-कीर्तन से पूरी होती रही हैं. अब इंसान की ज़िंदगी खुद उसकी पॉकिट में आ गयी…

उजालों का प्रेम बांटने वाला अंधेरा

♦  सुरेंद्र बांसल   > परमाणु ऊर्जा के कबाड़ को लेकर एक डर सारे विश्व में पसरता जा रहा है. अब तो विश्व की महाशक्ति का डर भी सामने आ गया है. अमेरिका ने अब तक जितना परमाणु कबाड़, कचरा इकट्ठा…

हे भगवान प्लास्टिक!

♦   सुसान फ्रिंकेल    > कोई नब्बे बरस पहले हमारी दुनिया में प्लास्टिक नाम की कोई चीज़ नहीं थी. आज शहर में, गांव में, आसपास, दूर-दूर जहां भी देखो प्लास्टिक ही प्लास्टिक अटा पड़ा है. गरीब, अमीर, अगड़ी-पिछड़ी पूरी…

अवैज्ञानिकता का बढ़ता हुआ कचरा

♦   प्रियदर्शन     > अंग्रेज़ी के महत्त्वपूर्ण लेखक थॉमस ब्राउन ने करीब 500 साल पुरानी अपनी प्रसिद्ध कृति ‘रिलीजियो मेडिसी’ में तर्क और आस्था के बीच का द्वंद्व बड़े दिलचस्प ढंग से रेखांकित किया है और दोनों के बीच…