♦ यज्ञ शर्मा > व्यंग्य की तीन प्रमुख किस्में हैं – राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक. राजनैतिक व्यंग्य राजनीति की विसंगतियों के खिलाफ़ लिखा जाता है. सामाजिक, समाज के अन्याय के खिलाफ़ और धार्मिक, धर्म के ढकोसले के विरोध में.…
Category: स्तंभ
उज्ज्वल भोर की आंखों का अश्रुपूरित कोर
♦ गौतम सान्याल > मैं सदैव से कहता आया हूं कि व्यंग्य मेरे लिए मात्र विद्रूप का प्रतिभाष्य या जीवन की विसंगतियों का चिह्नीकरण नहीं है, इसी तरह मात्र वह प्रतिघात का माध्यम भी नहीं है. वह मेरे लिए…
मनुष्य के बौद्धिक विकास का शंखनाद
♦ प्रेम जनमेजय > भा रतीय समाज में बाज़ारवाद ने चाहे पिछले दस-पंद्रह वर्ष में अपनी ‘सशक्त’ उपस्थिति दर्ज करायी हो परंतु हिंदी साहित्य में तभी से उपस्थित है जब यह देश परतंत्र था. तब हम अंग्रेज़ी राज्य के तंत्र…
इसलिए व्यंग्य…
♦ ज्ञान चतुर्वेदी > इस विषय को कई तरह से देखा जा सकता है. क्या हमसे यह कैफियत मांगी जा रही है कि व्यंग्य किसलिए? वैसे इन दिनों बहुत सारा व्यंग्य ऐसा लिखा भी जा रहा है कि पूछने की…
ईश्वर का अस्तित्व
आत्मा के द्वारा आत्मा का प्रतिकार करना मनुष्य या समूह के व्यक्तित्व का विकास करने के लिए आवश्यक है. इसके बिना भावना या गतिशील एकता सम्भव ही नहीं है. परंतु किसी प्रकार का प्रतिकार करने के लिए जैसे शक्ति आवश्यक…