Category: विधाएँ

मानवता जन्मजात गुण नहीं है

बड़ों का बचपन ♦  चार्ल्स डार्विन  >   एक जर्मन सम्पादक ने मुझे लिखा कि मैं मन और व्यक्तित्व के विकास के बारे में लिखूं. इसमें आत्मकथा का भी थोड़ा-सा पुट रहे. मैं इस विचार से ही रोमांचित हो गया. शायद यह…

ऐसे पढ़ाई की थी मैंने

बड़ों का बचपन ♦  हेलन केलर  >   जब गिलमैन स्कूल में मेरा दूसरा साल शुरू हुआ तो मैं आशा से भरी हुई थी और सफल होने का मेरा दृढ़ निश्चय था. लेकिन शुरू के कुछ सप्ताहों में ही मुझे अनपेक्षित…

ऑड मैन आउट उर्फ़ बिरादरी बाहर

 ♦  सुधा अरोड़ा  >     [मंच पर सड़क का दृश्य. बायीं ओर कुछ सीढ़ियां ऊपर एक बाल्कनी और लम्बा बरामदा है. दायीं ओर दूसरे मकान का दरवाजा है. मंच के दायीं ओर से दो बच्चे हाथ में एक बैनर लेकर…

अलविदा अन्ना

बचपन गाथा    ♦  सूर्यबाला   >    यह लम्बी संस्मरणनुमा कहानी बाल-मन को समझने-समझाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. प्रस्तुत है इस कथा के कुछ सम्पादित अंश. एयरपोर्ट पर बाहर निकलते ही बर्फीली हवाओं ने धावा बोल दिया. अठारह घंटे प्लेन…

खूंटा बदल गया

बचपन गाथा ♦  सच्चिदानंद चतुर्वेदी   >   पुरु की अम्मा हर जाड़े में आटे के लड्डू बनाती थीं. उस रात भी उन्होंने लालटेन की रोशनी में, चूल्हे की आग के सामने बैठ, लड्डू बनाये थे. वे जब तक लड्डू बनाती…