(जगदीशचंद्र बसु के नाम रवींद्रनाथ ठाकुर का पत्र) ओम् अगस्त, 1901 बंधु, तुम्हारा चित्र पाकर बहुत खुश हुआ. कैसी सुंदर छबि अंकित हुई है? यह तस्वीर मेरे लेखन-गृह की शोभा बढ़ायेगी. कुछ दिन पहले ‘साहित्य’ में प्रकाशित करने के लिए…
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‘मेरा यह आभार संभाल कर रखें’ – अमृता प्रीतम के नाम बिज्जी का पत्र
सारे समयों का सच गगन – अमृताजी, आपको क्या लगता है, हमारी पंजाबी कहानी को, हर चीज़ का अंश होने के बाद कौन-सी बात बिल्कुल साधारण बना देती है? खासकर जब हम उसे भारतीय कहानी के सामने रखकर देखते हैं,…
‘लेखक दूर से ही जानने की ‘वस्तु’ है!’
(मन्नू भण्डारी का पत्र सुधा अरोड़ा के नाम) दिल्ली – 7 29-3-68 प्रिय सुधा, बड़े आत्मीय और उन्मुक्त भाव से लिखा तुम्हारा पत्र मिला. बहुत ही खुशी हुई. मैं उत्तर जल्दी ही देना चाह रही थी. पर कुछ तो कॉलेज…
स्पष्टवादिता के नाम पर दो-एक बातें मैं भी कहूं…
(केदारनाथ अग्रवाल के नाम अज्ञेय का पत्र) मेरा पता- पोस्ट बाक्स 864 नयी दिल्ली 25.3.53 प्रिय केदार जी, आपका 10.02.53 का पत्र मिला था. उस समय काफी व्यस्त होने के कारण केवल आवश्यक कार्यवाही करके रह गया, पत्र की इतर…
‘मेरा राम बिल्कुल गैबी नहीं हैं’
(उपेंद्रनाथ अश्क को अमृतलाल नागर का पत्र) चौक, लखनऊ- 31-6-73 अश्क भाई, पिछले डेढ़ माह से जितनी जल्दी-जल्दी हाई-ब्लड प्रेशर का शिकार हुआ, उस तरह यदि कुछ और पहले से होता तो सीना तानकर कहता कि दोषी मैं नहीं, मेरी…