दो कविताएं

 सूर्यभानु गुप्त   >   

हम सब बच्चे कितने अच्छे!

एक-दूसरे की बेमतलब
आज खून की प्यासी दुनिया
बम-मिसाइलों की दीवानी
हथियारों की दासी दुनिया
हम बच्चों से कुछ तो सीखें!

हिल-मिलकर कैसे रहते हैं
कैसे हर मन के आंगन में
प्यार और भाई चारे के
मंगल दीप सदा जलते हैं
युद्धों की दीवानी दुनिया
भूली हुई प्यार की मीठी
मिसरी जैसी बानी दुनिया
हम बच्चों से कुछ तो सीखे!

कट्टी करते हैं पल भर में
बट्टी करते है पल भर में
भेदभाव नफ़रत की कोई
जगह नहीं बचपन के घर में
जाति-पांत भाषा धर्मों के
झगड़ों से बिल्कुल अनजाने
गाते रहते हैं हर पल हम
मस्ती के दिन-रात तराने
हृदय मोतियों जैसे सच्चे
धरती के मासूम फरिश्ते
हम सब बच्चे कितने अच्छे

विश्वशांति के बाल-गीत हम
देवदूत हर नयी सदी के
हम से दुनिया कुछ तो सीखे!
हम सब बच्चे कितने अच्छे!!

 

हमें वोट दो जगवालो…

बच्चे लड़ते आपस में, नेता भिड़ते संसद में
बच्चे हिल-मिल फिर गाते, नेता दुश्मन बन जाते
नेताओं से तो अच्छे, हम छोटे-छोटे बच्चे
कथनी-करनी एक जैसी, अंदर-बाहर से सच्चे
हमें वोट दो जगवालो, हम सरकार बनायेंगे!
कर न सके अब तक नेता, वो करके दिखलायेंगे!!

हैं दुख-दर्द बहुत जग में,
भूख-प्यास-मजबूरी है.
इक-दूजे के बीच यहां,
जाने कितनी दूरी है.
जल्द दूर हो ये दूरी, ऐसा ढब अपनायेंगे!
छोटे-बड़े का अंतर हम, वादा रहा, मिटायेंगे!!
हमें वोट दो जगवालो…

हर बस्ती, हर गांव-गली,
मानव, मानव का दुश्मन.
काल पड़ा है पानी का,
और आग आंगन-आंगन.
हम तो भाईचारे का सावन बनकर छायेंगे!
बात लड़ाई-झगड़े की लोग भूल ही जायेंगे!!
हमें वोट दो जगवालो…

हर घर में इस देश के हम,
लायेंगे वो खुशहाली.
हर दिन होगा होली-सा,
और रात ज्यों दीवाली.
खिले फूल-सा हर चेहरा, ऐसा मौसम लायेंगे!
बापूजी का हर सपना हम साकार बनायेंगे!!
हमें वोट दो जगवालो…

                                     (जनवरी 2014)

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