Tag: श्री सत्यकाम विद्यालंकार

अंतिम प्रणाम

♦  नारायण दत्त  >   अभावों और असुविधाओं से जूझते हुए अपने व्यक्तित्व को अपने हाथों गढ़ना और जीवन-पथ पर अविचल भाव से आगे बढ़ते जाना आदमी के आत्मबल को सूचित करता है. मेरे मित्रों और सहकर्मियों में श्री गिरिजाशंकर…