उजाले के प्रति आस्था और विश्वास का यह स्वर वस्तुतः जीवन के प्रति उस लगाव की प्रतिध्वनि है, जो सांसों को परिभाषित भी करता है, और परिमार्जित भी. रात जब बहुत लम्बी हो जाती है तो भोर के उजाले के…
Tag: शशिकांत सिंह ‘शशि’
दिसम्बर 2010
इतिहास अर्थात जो हुआ था, वह. लेकिन जो हुआ था का नाम ही इतिहास नहीं है. इसी तरह इतिहास को समझने का मतलब अतीत को समझना मात्र ही नहीं होता. सच पूछा जाए तो इतिहास की समझ हमें वर्तमान को…
फरवरी 2012
शब्द-यात्रा पुण्य क्षीण हो गया ‘अभियुक्त’ का आनंद गहलोत पहली सीढ़ी मोमबत्ती सी. रवींद्रनाथ आवरण-कथा सम्पादकीय हम स्वयं अपने साहित्य की चुनौती हैं ! रमेश दवे संकट एक अनकही भीतरी निष्ठा से कटने का है मृणाल पांडे ऐसे में…
अप्रैल 2014
छह अप्रैल 1930 को 241 मील की यात्रा करके गांधी अपने अनुयायियों के साथ गुजरात के समुद्र तट पर बसे दांडी पहुंचे थे. उस दिन गांधी ने वहां ब्रिटिश सत्ता द्वारा थोपे गये नमक-कानून का उल्लंघन करके सत्याग्रह को एक…